इसका निर्माण 1993 में किया गया था, जवाहर कला केंद्र जयपुर की संस्कृति का मुख्य आकर्षण है। इस केंद्र की स्थापना का उद्देश्य यही था कि राजस्थान की समृद्ध कला एवं शिल्प को संरक्षित रखा जाए। इसका डिज़ाइन एवं स्थापत्यकला शहरों की योजना बनाने वाले वास्तुकार चार्ल्स कोरीया द्वारा किया गया था। इस कला केंद्र का नाम देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के नाम पर पड़ा तथा यह उन्हीं को समर्पित है। इस केंद्र का डिज़ाइन महाराज जयसिंह के नौ मंडलों की आधुनिक व्याख्या के रूप में तैयार किया गया है। इसके निर्माण में तीन अंतर्निहित विचार परिलक्षित होते हैं। पहला, ब्रह्माण्ड के गणित का अनुसरण किया गया है, जैसे गुलाबी नगरी का निर्माण नौ क्षेत्रों के आधार पर किया गया तथा इस केंद्र को नौ वर्गों में बनाया गया। दूसरा, शिल्प में किए गए प्रयोगों के माध्यम से पदार्थों व प्राणियों का पुनः अध्ययन किया गया है। तीसरा, यह विचार है कि नागरिकों को शहरी परिवेश में वापस लाया जाए। 

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