यह किला दुनिया की सबसे बड़ी तोप जयबान के लिए प्रसिद्ध है। जयगढ़ किले का निर्माण महाराजा स्वाई जयसिंह द्वितीय (1880-1922) द्वारा बनाया गया था। यह जयपुर से मात्र 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस दुर्जेय किले का निर्माण 18वीं सदी के आरंभिक वर्षों में आमेर के किले को दुश्मनों के हमलों से बचाने के लिए किया था। चील का टीला नामक पहाड़ी पर बना यह किला शानदार लगता है। यद्यपि इसका निर्माण सैन्य संरचना के रूप में किया गया था, किंतु उसमें सुव्यवस्थित रूप से बाग, राजपरिवार के लोगों के लिए आवास तथा मंदिर बने हुए हैं। वर्तमान में भी यह किला बेहतरीन तरीके से संरक्षित है तथा यह वैभव के साथ खड़ा है। एक सुरंग के माध्यम से यह किला आमेर किले से जुड़ा हुआ है तथा इसकी स्थापत्यकला भी उसी की भांति है। इस किले में योद्धाओं का एक सभागार, जो शुभ निवास कहलाता है, संग्रहालय एवं शस्त्रगार भी हैं। कइयों का मानना है कि इस किले के नीचे खज़ाना गढ़ा हुआ है।

इस किले का इतिहास भी रोचक है, ऐसा कहा जाता है कि मुग़लकाल के दौरान यहां के शासकों का यह प्रमुख तोपखाना था। साथ ही अस्त्र-शस्त्र एवं युद्ध में काम आने वाले अन्य साजो-सामान रखने का स्थल था। जयगढ़ का किला दारा शिखोह के अधीन था, जिसे उसके भाई औरंगज़ेब ने हराया व उसे मार डाला। उसके बाद, यह किला जय सिंह द्वितीय को सौंप दिया गया था। 

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