एक वेगन डिश के रूप में प्रचलित गुन्द्रुक बनाया जाता है खमीरीकृत पत्तेदार  सब्जियों जैसे- पत्तागोभी और मूली से। कभी-कभी इसे बनाते समय सरसो के पत्ते भी डाले जाते हैं। पारंपरिक रूप से इस व्यंजन को मिट्टी के बर्तन में ही बनाया जाता है। लेकिन इतने वर्षों में इसे बनाने के तरीके और सामग्री में काफी बदलाव आया है। सिन्की भी गुन्द्रुक की तरह एक पारंपरिक व्यंजन है, जिसे मूली और कंदमूल के साथ बनाया जाता है। इसमें कटी हुए कंदमूल और बांस को मिट्टी तथा पेड़-पौधों से ढक कर करीब एक माह के लिए छोड़ दिया जाता है और फिर उसे निकालकर सूरज की रोशनी में सुखाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया से सिंकी में आर्गेनिक एसिड की मात्रा काफी बढ़ जाती है तथा पीएच कम हो जाता है, जिससे यह लंबे समय तक जाता रहती है। 

गुन्द्रुक और सिन्की को मिलाकर एक खास किस्म का सूप बनाया जाता है, जो स्वाद में खट्टा होता है। अपनी इसी खटास की वजह से इसे खाने से पहले पिया जाता है, ताकि भूख खुलकर लगे। यह दोनों ही व्यंजन नेपाल से आये हैं और इन्हें बनाने में एक जैसी ही सामग्री का इस्तेमाल होता है।