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दीव के समुद्री तट कई प्रकार के कुछओं और उनकी खोलों का ठिकाना है, जिसका उपयोग कुशल शिल्पकार घर की सजावटी वस्तुओं को बनाने में करते थे। दीव आने वाले पर्यटकों के लिये खूबसूरत कला के ये नमूने एक दिलचस्प यादें हैं। दीव की दुकानों में कछुओं के खोलों से तैयार की जाने वाली कलाकृतियों और खूबसूरत ज्वैलरी की विस्तृत रेंज रखी जाती है। इनके अनूठे डिजाइन और पैटर्न की वजह से ये निर्माताओं और ग्राहकों को आकर्षित करते हैं।
दीव में बनने वाले मैट को खूबसूरत पांरपरिक वस्तुओं तथा पैटर्न से सजाया जाता है। पिछले कई सदियों से बुनकर इस पारंपरिक कला को करते आ रहे हैं और यह कला एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को चली जाती है। इन मैट्स को आम हथकरघे से बुना जाता है, जो दीव की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बारे में बड़े तेज स्वर में बताती है।
प्यार और रोमांस पर आधारित ‘मांडो’, गीत तथा नृत्य पर आधारित प्रस्तुति है, जिसे महिला और पुरुष मिट्टी से बने वाद्यों को बजाकर उसकी धुन पर करते हैं। इसे घुमोल कहा जाता है। कई बार इसके साथ वायलिन की रोमांटिक धुनों की संगत दी जाती है। मांडो नृत्य स्थानीय लोगों के जीवन का सबसे खुशहाली वाला त्योहार माना जाता है। दीव के अन्य प्रकार के प्रसिद्ध लोकनृत्यों में ‘वर्दीगाओ’ और ‘वीरा’ नृत्य शामिल हैं। परिवार के बूढे और जवान सभी सदस्य इस नृत्य में हिस्सा लेते हैं और यह एक परंपरा रही है, जिसे दीव के लोगों ने सदियों से सहेजकर रखा है।
दीव के कई इलाके अपने हाथी दांत की नक्काशी के लिये जाने जाते हैं, जिसे सुंदर शिल्पकारी जैसे गहने और अन्य प्रकार की उपयोगी वस्तुएं बनाने वाले कुशल कारीगर करते हैं। हाथीदांत की नक्काशी एक अंतरराष्ट्रीय कला है, जिसका अभ्यास पूर्वप्राचीनकाल से किया जा रहा है। इसमें कटिंग करने वाले धारदार औजार की मदद से जानवरों के दांत या सूंड़ पर बारीक डिजाइन तथा पैटर्न बनाये जाते हैं। हाथीदांत एक ऐसी वस्तु है जो लंबे समय तक चलती है और आसानी से रीसाइकल नहीं होती है। दीव की हस्तशिल्प की दुकानें हाथीदांत की नक्काशी वाली अलग-अलग डिजाइनों वाली बेहतरीन वस्तुओें का ठिकाना है। याद के तौर पर कुछ बेहतरीन चीजें साथ ले जाना ना भूलें।
नवरात्रि (नौ दिनों तक चलने वाला पवित्र त्योहार) के दौरान देवी अंबा के गुणगान के लिये गाये जाने वाले गीतों से सजा गरबा का लोकनृत्य किया जाता है। आमतौर पर इसे महिलाएं रंग-बिरंगे कपड़ों और सुंदर गहनों को पहनकर करती हैं, इसे देखना काफी मनमोहक होता है। गरबा केवल गुजरात और दमन तथा दीव के प्रसिद्ध नृत्य का एक रूप नहीं है, बल्कि पूरे भारतवर्ष में इसे किया जाता है।