प्राचीनकाल के आकर्षण से सुसज्जित, 400 साल लंबी पुर्तगाली शासन की विरासत के साथ, दीव का यह अनोखा आइलैंड गुजरात के दक्षिणी इलाके तक फैला है। यह इस राज्‍य से एक ब्रिज के माध्‍यम से जुड़ा हुआ है। विविध तरह के प्राचीन पुर्तगाली किले, बंगाले, चर्च और कोठियों के अवशेषों के साथ, दीव औपनिवेशिक संस्‍कृति में डूबा हुआ नज़र आता है। इसकी झलक हमें यहां की कलाकृतियों, खान-पान और हस्‍तशिप में देखने को मिल सकती है। अरब सागर के हरे-नीले पानी के आगोश में रेत की सुनहरी चादर से घिरा, दीव एक उपयुक्‍त शांत पर्यटक स्‍थल है। इसके उत्‍तरी क्षेत्र में खूबसूरत नमक का मैदान और दलदली भूमि है वहीं इसके दक्षिणी हिस्‍से को पत्‍थरीली चूना-पत्‍थर की चट्टानें और पुराने बीचेस छूते हैं।  

समु्द्र तट के साथ 21 किलोमीटर के क्षेत्र में फैला, दीव 14वीं और 16 शताब्‍दी में प्रमुख बंदरगाह और नौसैनिक अड्डा हुआ करता था। यह संस्‍कृत शब्‍द ‘द्वीप’ से निकला है, जिसका अर्थ है आईलैंड या टापू। इसके साथ एक किंवदंती जुड़ी है कि दीव पर दैत्‍य राजा जालंधर का शासन था, जिसका सिर भगवान कृष्‍ण ने काट दिया था। सतयुग के दौरान, गोवा का गजेटियर, दमन तथा दीव राज्‍य का दीव ‘जालंधर क्षेत्र’ के नाम से जाना जाता था। जालंधर का एक मंदिर आज भी इस आईलैंड शहर में मौजूद है। 320-322 ईसापूर्व, में दीव पर मौयों का शासन था। इसके बाद गुप्‍त (415-467ईसवी), मैत्रक शासक (470-788 ईसवी) और चावड़ा शासक (789-941 ईसवी) आये। 14वीं और 16वीं शताब्‍दी के बीच यहां ओमन के सुल्‍तान ने शासन किया और उसके बाद 1529 ईसवी में पुर्तगालियों ने अपना राज स्‍थापित किया।