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देशनोक करणी माता के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिन्हें देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। चूहों के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर में चूहों की पूजा की जाती है। यह भारत के सबसे आकर्षक मंदिरों में से एक है जो दुनिया भर से भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस मंदिर में लगभग 25,000 चूहे हैं जिन्हें काबा के नाम से जाना जाता है। इन चूहों को करणी माता के पुत्र स्वरूप माना जाता है और यह मान्यता है कि आपके पैरों से कोई सफेद काबा छू जाए तो यह अत्यधिक शुभ लक्षण है। ऐसा माना जाता है कि चरन कबीले के लगभग 600 परिवार करणी माता के वंशज हैं और उन्हें विश्वास है कि अगले जन्मों में उन्हें इन चूहों के रूप में पुनर्जन्म प्राप्त होगा।
इस मंदिर से जुड़ी एक प्रचलित किंवदंती यह है कि जब करणी माता के सौतेले बेटे लक्ष्मण पानी पीने का प्रयास करते हुए कपिल सरोवर में डूब गए, तो करणी माता ने यमराज अर्थात मृत्यु के देवता से अपने पुत्र को पुनर्जीवित करने के लिए इतनी घोर प्रार्थना की कि उन्होंने केवल लक्ष्मण को ही जीवनदान नहीं दिया अपितु उनके साथ-साथ चूहों के रूप में करणी माता के अन्य सभी बेटों को भी पुनर्जन्म दिया।
इस मंदिर का निर्माण कार्य 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह (1888-1943) ने पूरा करवाया था। इस मंदिर के परिसर से बाहर निकलने से पहले इसके मुख्य द्वार के निकट स्थापित सिंह की मूर्ति के कान में अपनी गहरी इच्छा व्यक्त करना न भूलें, क्या पता वह यहीं से सच हो जाए? यहाँ से वापस आते समय आप हाल ही में देशनोक से बीकानेर के रास्ते में बनी करणी माता की झाँकी में भी जा सकते हैं। कुछ ही समय पूर्व निर्मित इस संग्रहालय में सुंदर मूर्तियों, चित्रों और झांकी के माध्यम से करणी माता की कहानियों को दर्शाया गया है।