भीमबेटका रॉक शेल्टर

भीमबेटका रॉक शेल्टर्स एक पुरातात्विक स्थल है जो पर्यटकों को अतीतकाल की यात्रा पर ले जाता है। यहाँ की चट्टानें 3,000 वर्ष पुरानी हैं तथा यूनेस्को द्वारा घोषित विश्व धरोहर स्थल हैं। भीमबेटका दूर-दूर से पर्यटकों को आकर्षित करता है, और यहाँ स्थित 500  से अधिक चित्रों पर ऑस्ट्रेलिया के काकाडू नेशनल पार्क में पाए जाने वाले गुफा चित्रों, कल्हारी रेगिस्तान की बुशमैन जनजाति के गुफा चित्रों और फ्रांस के ऊपरी पुरापाषाणकालीन लासकॉक्स गुफा चित्रों की स्पष्ट छाप दिखाई देती है। 

समय की कसौटी पर खरे उतरने वाले प्राकृतिक रंगों से निर्मित इन गुफा चित्रों की खोज 1957 में वीएस वाकणकर ने एक उत्खनन अभियान के दौरान की थी, और यह चित्र एक ऐसे विस्मृत समुदाय के जीवन को प्रदर्शित करते हैं जिसके सदस्य यहाँ हजारों साल पहले रहा करते थे। इनमें से कुछ चित्र ऐसे हैं जिनकी आयु 30,000 साल तक निर्धारित की गई है! इन चित्रों में घुड़सवारी, हाथी की सवारी, शहद संग्रह, भोजन के लिए शिकार, बच्चों का पालन-पोषण, नृत्य क्रियाकलापों को निरूपित किया गया देखा जा सकता है।

भीमबेटका रॉक शेल्टर

वन विहार

वन विहार ऊपरी झील के पास एक पहाड़ी के ऊपर स्थित एक खुला प्राणि उद्यान है, इसमें विशाल बाड़े हैं जिनके अन्दर शेर, बाघ, भालू, तेंदुआ और लकड़बग्घा जैसे जानवर रखे जाते हैं। मांसाहारी पशु मनुष्यों से सुरक्षित दूरी पर रखे जाते हैं, लेकिन काला हिरन तथा चीतल जैसे शाकाहारी जीवों को स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति है। एक तरफ़ पक्षी लगातार चहकते हुए हवा में उड़ान भर रहे होते हैं, तो दूसरी तरफ़ मगरमच्छ और कछुए धूप सेंक रहे होते हैं। इस वन विहार में एक प्रमुख आकर्षण इसकी सरीसृप इकाई है, जहां आप अजगर, रसेल के वाइपर और कोबरा जैसे सांप देख सकते हैं। एक अन्य विशेष खंड है जो विभिन्न प्रकार के कीड़ों और तितलियों को समर्पित है। चूंकि यह पार्क ऊपरी झील के करीब है, सर्दियों में यहाँ प्रवासी पक्षियों को भी देखा जा सकता है। पार्क का रक्षा केन्द्र बीमार जानवरों की देखभाल करता है। यह वन विहार एक रमणीय स्थान है जिसमें पर्यटक वन्यजीवों के क़रीब आने का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। इस पार्क को कार या बाइक पर बैठ सबसे अच्छी तरह से देखा जा सकता है, जोकि यहाँ किराए पर आसानी से उपलब्ध हैं।

यह पार्क 445 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है, तथा इसे वनभूमि के एक अतिक्रमित भाग को उसके मूल प्राकृतिक रूप में बहाल करने और देशज वनस्पतियों व जीवों की रक्षा करने के लिए बनाया गया था। 1981 में इस वन विहार को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यह पार्क पूरे वर्ष भर, यहां तक ​​कि मानसून के दौरान भी आगंतुकों के लिए खुला रहता है जिस समय अधिकांश अन्य भारतीय राष्ट्रीय उद्यान अपने द्वार बंद कर देते हैं।

वन विहार

ऊपरी झील और निचली झील

पुल पुख्ता नामक एक पुल ऊपरी झील और निचली झील नाम की इन दोनों झीलों को जोड़ता है । साफ जल से भरे हुए यह दोनों सरोवर भारत के संभवतः सर्वाधिक हरे भरे और सुरम्य जलप्रपातों में से हैं, और इनके इर्दगिर्द विशाल बगीचे स्थित हैं।

11 वीं शताब्दी में निर्मित बड़ा तालाब या ऊपरी झील या भोजताल देश की सबसे पुरानी मानव निर्मित झीलों में से एक है। 36 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला यह ताल पर्यटकों को अद्भुत दृश्य देखने तथा जल खेलों का आनंद लेने के अवसर प्रदान करता है। वे झील में नौकायन कर सकते हैं या निकट स्थित कमला पार्क में आराम कर सकते हैं। यहाँ पैडल बोट, सेलबोट और मोटरबोट की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। सूर्यास्त के अतुलनीय सौन्दर्य का आनंद लेने के लिए यहाँ शाम को शांत पानी में नौका विहार किया जा सकता है – उस समय ढलते हुए सूरज की किरणें सतह से टकराती हैं, और ऐसा लगता है मानो पूरी झील में अग्नि प्रज्जवलित है! ऊपरी झील 11 वीं शताब्दी में परमार वंश के राजा भोज द्वारा बनवाई गई थी। किंवदंती है कि राजा भोज को त्वचा की कोई रहस्यमयी बीमारी थी जो किसी दवा या जड़ी बूटी से ठीक नहीं हो रही थी। एक संत ने उन्हें सलाह दी कि वे 365 सहायक नदियों के पानी से मिल कर बने एक सरोवर का निर्माण करें और अपने दर्द को कम करने के लिए उस में स्नान करें। इस प्रकार ऊपरी झील का निर्माण किया गया। सन 2011 में राजा भोज के सम्मान में इसका नाम बदलकर भोजताल रख दिया गया।

ऊपरी झील और निचली झील