गंतव्य मुख्य विवरण: मध्यप्रदेश के मध्य में स्थित भोपाल शहर दो सुरम्य झीलों, ऊपरी झील और निचली झील, के निकट समय के एक अंतराल में ठहरा हुआ है। झीलों के एक तरफ चहलपहल से भरा हुआ पुराना शहर है, जो संकरी गलियों और घने चौराहों से बनी भूलभुलैया है। इसमें बहुत से बाज़ार हैं जहाँ स्थानीय लोग विभिन्न वस्तुओं के लिए दुकानदारों के साथ मोलभाव करते पाए जा सकते हैं, और कई सुंदर मस्जिदें और गली-मोहल्ले इस इलाक़े की पहचान हैं। इसका महानगरीय समकक्ष, इन झीलों के दक्षिण में स्थित भोपाल का क्षेत्र इस देश के किसी भी बड़े शहर की गति से ताल मिला सकता है। यहाँ के केंद्रीय जिले को न्यू मार्केट के नाम से जाना जाता है और इसमें आधुनिक शॉपिंग सेंटर, शानदार होटल और बहुव्यंजनीय रेस्तरां बने हुए हैं। यह क्षेत्र शामला पहाड़ियों की छाया में बसा है, जो झीलों और पुराने शहर से कुछ अलग स्थित हैं। भारत के सबसे हरे-भरे शहरों में से एक माने जाने वाले भोपाल शहर में कई राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और वनस्पतियों और जीवों से भरे हुए प्राणि उद्यान स्थित हैं। इसके अलावा, यह शहर खानेपीने के शौक़ीन लोगों के लिए जन्नत से कम नहीं है, और इसके विभिन्न व्यंजनों आपके मुँह में पानी ले आएँगे।

परमार शासक राजा भोज द्वारा 11 वीं शताब्दी में स्थापित भोपाल शहर को अतीतकाल में राजा के एक मंत्री द्वारा एक पाल (बांध) का निर्माण करवाए जाने के बाद भोजपाल के नाम से जाना जाता था। यह शहर पुरानी सांस्कृतिक विरासत और नवीन शहरी योजना का अनूठा संगम है। पुराने और नए के अनोखे सम्मिलन रुपी इस शहर में 1819 और 1926 के बीच शासन करने वाली शक्तिशाली महिला शासकों की निशानियाँ आज तक बरकरार रखी गई हैं। यहाँ मुगलों और अफगानों के प्रभावों के चिह्न भी मौजूद हैं और हिंदू धर्म, इस्लाम और बौद्ध धर्म का अद्भुत संगम भी परिलक्षित होता है।