![फैजाबाद](/content/dam/incredibleindia/images/places/ayodhya/ayodhya-gulab-bari-30.jpg/jcr:content/renditions/cq5dam.web.1800.600.jpeg)
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घाघरा नदी के तट पर स्थित, फ़ैज़ाबाद अवध के नवाबों के ऐतिहासिक अतीत से सम्बद्ध है और अयोध्या के निकट एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है। अवध के दूसरे नवाब सआदत खान ( 1722 से 1739) द्वारा स्थापित फ़ैज़ाबाद नगर सुंदर किलों, मकबरों और मस्जिदों के लिए मशहूर है। यहाँ आप छोटा कलकत्ता के नाम से प्रसिद्ध फोर्ट कलकत्ता से अपनी पर्यटन यात्रा शुरू करें। बक्सर के युद्ध में अंग्रेजों द्वारा पराजित होने के बावजूद अवध के नवाब शुजा-उद-दौला (1754-1775) द्वारा 1764 में निर्मित इस किले के निर्माण ने संकेत दे दिया था कि जंग हारने के बावजूद इस क्षेत्र पर नवाब का कब्ज़ा बरक़रार था। इस किले में नवाब और उनकी बेगम ने अपनी मृत्यु तक निवास किया। मुगल शैली की वास्तुकला की में निर्मित इस किले की दीवारें स्थानीय मिट्टी से बनी हैं, हालांकि किले का अधिकांश हिस्सा आज खंडहर की स्थिति में है। पर्यटक नवाब शुजा-उद-दौला के शानदार मकबरे वाले गुलाबों के बाग़ ‘गुलाब बाड़ी’ में भी जा सकते हैं। यह अपने विभिन्न प्रकार के गुलाबों के लिए प्रसिद्ध है, जो देश के सभी हिस्सों से प्रकृति प्रेमियों और वनस्पतिविदों को आकर्षित करता है। गुलाब बाड़ी का उपयोग नवाब के शासनकाल के दौरान महत्वपूर्ण मज़हबी आयोजनों की मेजबानी करने के लिए किया जाता था।
इस्लामी शैली की वास्तुकला में निर्मित यह भव्य मकबरा उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक सुन्दरतापूर्वक निर्मित किए गए स्मारकों में से एक है। जैसे ही आप बगीचे में प्रवेश करते हैं, भारत के राष्ट्रीय प्रतीक से उत्कीर्णित एक बड़ा स्तंभ आपका स्वागत करता है। एक सुव्यवस्थित गलियारे से गुज़रते हुए, जिसके दोनों ओर नारियल के पेड़ आच्छादित हैं, आप प्राचीन धनुषाकार प्रवेश द्वार की ओर पहुँचते हैं। गुलाब के बगीचे में प्रवेश करने के लिए, आपको इस भव्य प्रवेश द्वार से गुजरना होता है। बगीचे में एक सुंदर मस्जिद भी है निर्मित और इस मस्जिद के ठीक बगल में एक छोटी सी चौकी है। मकबरे के मेहराबदार मार्गों से गुजरना एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।
शुजा-उद-दौला की पत्नी बहू बेगम द्वारा निवास स्थल हेतु प्रयोग किया जाने वाला भव्य मोती महल भी देखने लायक है। ताड़ के वृक्षों से सुसज्जित एक सुव्यवस्थित उद्यान से घिरा यह महल मुगल वास्तुकला के बेहतरीन नमूने के रूप में स्थापित है और फैजाबाद के राजसी अतीत का परिचय देता है। बहू बेगम का मकबरा जवाहरबाग में बना हुआ है और उसे अवध की सबसे अच्छी इमारतों में से एक माना जाता है। उस समय इसके निर्माण में लगभग तीन लाख रुपये की लागत आई थी।
पर्यटक चक्र हरजी विष्णु मंदिर भी जा सकते हैं, जो भगवान राम के चरणों के चिह्नों के लिए प्रसिद्ध है। इसके अतिरिक्त वे फैजाबाद के एक और प्रसिद्ध मंदिर ‘राजा मंदिर’ के भी दर्शन कर सकते हैं।