भारतीय प्रायद्वीप कई आलीशान और महान पर्वत शृंखलाओं और चोटियों का घर है।इनमें सबसे प्रमुख है विशाल हिमालय जो विश्व की सबसे ऊँची चोटी है। माउंट एवरेस्ट का उच्चतम विन्दु है जो 8,848 मीटर। लेह-लद्दाख विशाल हिमालय के उत्तरी भाग में है ,जो वास्तव में एक पर्यटन स्थल है , जहाँ जाने वाला प्राकृतिक सौन्दर्य को निहारता ही रह जाता है , जो शान्ति और आध्यात्म में डुबोया गया लगता है ,जो साहसिक खेलों जैसे ट्रैकिंग , पहाड़ी साइकलिंग , पर्वतारोहण आदि में लिप्त है। उत्तराखण्ड के तपोवन के घास के मैदान गढ़वाली हिमालय की चोटियों का खूबसूरत नजारा प्रस्तुत करते हैं।कुमाऊँ के हिमालय को देखना है तो मुंशियारी ,एक छोटे से शहर ,की ओर बढ़िए तो वहाँ से पंचाचुली की चोटियों का अद्भुत नजारा दिखेगा। काराकोरम रेंज ,जो भारत की उत्तरी पश्चिमी सीमा बनाती है और ध्रुवीय क्षेत्रों के बाद पृथ्वी पर पाए जाने वाले ग्लेशियरों का सबसे बड़ा गढ़ है। इन्हीं शृंखलाओं में सियाचीन एवं बिआफो ग्लेशियर हैं एवं ऐसा माना जाता है कि ये दुनिया के विशालतम ग्लेशियरों में से हैं। हिमाचल प्रदेश से आरम्भ हो कर जम्मू-कश्मीर तक जाने वाली अचम्भित करती पीर पंजाल शृंखला को निचला हिमालय भी कहते हैं।इस शृंखला में गुलमर्ग जैसे हिल स्टेशन एवं अन्य वादियाँ किसी स्वर्ग से कम नहीं प्रतीत होती हैं।

देश के पूर्वी छोर तक जाने वाली हिमालय की शृंखला को पूर्वांचल पर्वत माला कहते हैं जो कि पूर्वोत्तर के सभी राज्यों को आच्छादित किए हुए है। यहाँ तक कि केन्द्रीय भारत में स्थित हरियाली से परिपूर्ण पहाड़ भी हैं और सतपुड़ा एवं विन्ध्याचल शृंखलाएं एक दूसरे के समानान्तर खड़ी हैं। इन शृंखलाओं में कई खूबसूरत हिल स्टेशन , हरे भरे राष्ट्रीय उद्यान एवं आध्यात्मिक स्थल हैं जो पर्यटकों के लिए एक अच्छा पर्यटन स्थल है। विश्व एवं भारत की प्राचीनतम पर्वत शृंखला अरावली है , जिसका विस्तार राजस्थान , हरियाणा , दिल्ली और गुजरात तक है। यह शृंखला मानसूनी हवाओं को राजस्थान जाने से रोक लेती है। खूबसूरत माउंट आबू इन्हीं शृंखलाओं के बीच स्थित है। यूनेस्को द्वारा घोषित अन्तर्राष्ट्रीय विरासत स्थल पश्चिमी घाट की पर्वत शृंखला 1600 मीटर चैड़ी है और गुजरात से ले कर कन्याकुमारी तक जाती है ,जिसको हम सहयाद्रि पर्वत माला के नाम से जानते हैं एवं इन्हीं के मध्य नीलगिरि है जो चाय बगानों के लिए प्रसिद्ध है एवं केरल की सबसे ऊँची चोटी अन्नामलाई है। 

पश्चिमी घाट की अपेक्षा पूर्वी घाट की ऊँचाई कम है।पूर्वी घाट का विस्तार बंगाल की खाड़ी के समानान्तर पश्चिम बंगाल,ओड़ीसा , आन्ध्र प्रदेश और तमिलनाडु प्रदेशों में है। इन पर्वत शृंखलाओं से कई नदियों का उद्गम हुआ है ,जो धरती को उर्वरा बनाती है। उन नदियों में गोदावरी ,कृष्णा , महानदी ,और कावेरी हैं। दोनों ही घाटों पर प्रमुख तीर्थ -स्थल हैं।