तमिलनाडु में यरकौड के हरे भरे पर्वतीय स्थल की सुंदरता देखते हुए इसे सामान्यतया 'दक्षिण का गहना' कहा जाता है। सलेम जिले में पूर्वी घाट के शेवारॉय पहाड़ी पर स्थित यह स्थान समुद्र तल से 4970 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पर्वतीय स्थल का नाम इसकी भौगोलिक बनावट के आधार पर रखा गया है। इसकी मुख्य झील के चारों ओर बड़ी संख्या में पेड़ होने के कारण, स्थानीय लोगों ने इस स्थान को 'यारी-काडु' कहना शुरू कर दिया, जिसका शाब्दिक अनुवाद है झील का जंगल। कालांतर में इन्हीं दोनों शब्दों के विलय से यह यरकौड बन गया।

यरकौड लगभग 383 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें इसके आरक्षित वन भी शामिल हैं और शेष इलाकों में पथरीले पूर्वी घाट शामिल हैं। वर्ष के अधिकांश समय में यहां की शीतल जलवायु का आनंद सुखदायी होता है। कहा जाता है, यहां का तापमान शायद ही कभी 29 डिग्री सेल्सियस से ऊपर या 13 डिग्री सेल्सियस से नीचे गया हो।

यह विशुद्ध पर्वतीय स्थल पर्यटकों द्वारा इसलिए भी पसंद किया जाता है क्योंकि यहां भीड़ कम और वातावरण शांत होता है। यह शहर की भीड़-भाड़ से बिल्कुल अलग राहत देने वाला होता है। वानस्पतिक सर्वेक्षण विभाग देखरेख में अनुरक्षित ऑर्किडेरियम (जहां आर्किड की खेती की जाती है) इसके हरे भरे परिदृश्यों में इज़ाफा करता है। इसके अतिरिक्त यरकौड में कॉफी बागान, नारंगी कुंज, केला, नाशपाती और कटहल के फार्म तथा गोलमिर्च के बागान प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।

यह क्षेत्र इतना सुंदर है कि इन्सान तो इन्सान जानवर भी इसके आकर्षण को नजरअंदाज नहीं कर सकते। जंगली सांडों, हिरणों, खरगोशों, लोमड़ियों, नेवलों, गिलहरियों, तीतरों, सांपों, बुलबुल, चीलों, गौरैया, अबाबीलों के घर हैं इस क्षेत्र के सौंदर्य को और बढ़ा देते हैं।