'स्वर्ग की वाटिका' के नाम से प्रसिद्ध इस खूबसूरत महल के बारे में कहा जाता है कि इसने ताजमहल के डिज़ाइन को प्रेरित किया था। जगनिवास से लगभग 800 मीटर दक्षिण में जग मंदिर द्वीप पर बने इस तीन मंजिला महल को महाराणा कर्ण सिंह द्वितीय ने वर्ष 1620 में बनवाया था और बाद में उनके बेटे ने इसे पूरा किया। पीले सैंडस्टोन और संगमरमर से बने इस महल के बारे में कहा जाता है कि राजा ने इसे मुगल सम्राट शाहजहां के लिए सम्राट बनने से पहले छिपने की जगह के रूप में बनाया था। बताया जाता है कि शाहजहां, जो उस समय राजकुमार खुर्रम के नाम से जाने जाते थे, अपनी पत्नी और बेटों के साथ यहां रहते थे। शायद इसी कारण गुल महल में, वो हिस्सा जिसमें राजकुमार रहते थे, आधे चांद और उस जैसे इस्लामी वास्तुकला के कई अन्य निशान हैं। यहां एक मस्जिद का भी निर्माण किया गया था। गुल महल में काली और सफेद टाइलों से बना एक अनोखा आंगन भी है। लोककथाओं में कहा गया है कि मुगल राजकुमार महल की वास्तुकला, खास तौर पर इसकी पियत्रा डोरा (पत्थर में जढ़ाई का काम) से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने आगरा में ताजमहल में भी इसका इस्तेमाल करवाया था।

यहां के अन्य आकर्षण हैं- विशालकाय संगमरमर के हाथी, बड़ा पत्थरों का महल, कुंवर पडा का महल, जनाना महल और खूबसूरत फूलों के बाग। इसमें एक संग्रहालय भी है, जो इस द्वीप और महल के इतिहास की झलक देता है। दिलचस्प बात ये है कि ज्यादातर स्थानीय लोग इसे वर्ष 1983 की जेम्स बॉन्ड फिल्म 'ऑक्टोपुसी' का जिक्र करते हुए 'ऑक्टोपसी के घर' के नाम से बुलाते हैं, जिसे उदयपुर के कई महलों में शूट किया गया था।

अन्य आकर्षण