चूंकि यह क्षेत्र हरे-भरे जंगलों से संपन्न है, इसलिए दैनिक उपयोग की विभिन्न वस्तुओं को बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की लकड़ियां यहां मिल जाती हैं। अरुणाचल प्रदेश की जनजातियाँ लकड़ी से बनी चीजें की कला में बहुत निपुण हैं। लकड़ी की नक्काशी में लगे कारीगरों को त्रूक्पा (Trukpa) नाम से जाना जाता है। हाथ से बनाए नक्काशीदार फर्नीचरों में 'चो त्ज़े' लोकप्रिय फर्नीचर है, जो एक प्रकार की छोटी टेबल होती है, जिसमें एक तरफ से लोग बैठते हैं, और अन्य तीनों तरफ का हिस्सा लकड़ी के पैनलों से ढका होता है, जिन पर चमकीले रंगों से बने ड्रैगन, पक्षी या फूलों के नक्काशीदार आकृतियां चित्रित होती हैं। मोनपा लोग रोजमर्रा की जरुरतों के अनेक बर्तनें भी लकड़ी से बनाते हैं। जान शोंग्बू (Zan Shongbu) आटा गूंधने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक प्रकार का उथला सपाट आयताकार बर्तन होता है, जिसे लकड़ी के एक ब्लॉक को अंदर से खोखला करके बनाया जाता है। वहीं जांधौंग (Jandhong) एक लंबा बेलनाकार पात्र होता है, जो लकड़ी से बना होता है और इसके चारों ओर पीतल की परत लगी होती है। इसका उपयोग मक्खन की चाय को मथने के लिए किया जाता है। दूध को मथने के लिए वे लोग ज़ौब (Zob) का इस्तेमाल करते हैं, जो दिखने में जांधौंग जैसा है, लेकिन यह आकार में बड़ा होता है। शेंग त्सुमरौंग (Sheng Tsumrong) एक प्रकार की लकड़ी की ओखली होती है, जिसमें अनाज और अन्य खाद्य सामग्री को लकड़ी के मूसल से कूटा जाता है

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