मेचुका, जो आम बोलचाल की भाषा में मेनचुखा के नाम से जाना जाता है, अरुणाचल प्रदेश का एक छोटा सा शहर है जो देवदार के पेड़ों और झाड़ियों से घिरा है और समुद्र के तल से 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इस हिमालयी क्षेत्र में अभी तक ज्यादा पर्यटक नहीं आए हैं, अतः इसका सौंदर्य अभी भी बरकरार है। इसका मुख्य आकर्षण, महायान बौद्ध संप्रदाय का 400 वर्ष पुराना सामतेन योंगचा मठ है। यहां कई प्राचीन प्रतिमाएं है जिनमें गुरु पद्मसंभव की प्रतिमा भी है, जिन्हें निंगमा संंप्रदाय का संस्थापक माना जाता है। यहां, तिब्बती पौराणिक कथाओं पर आधारित लोक कथा के पात्रो की रंगीन वेशभूषा और मुखौटे भी मिलते हैं। पारंपरिक नृत्य के दौरान, जिसे चाम नृत्य कहा जाता है, अक्सर इन मुखौटों को पहना जाता है। यह एक ओजपूर्ण और जीवंत नृत्य है, जो लोगों को अपने भीतर की गलत भावनाओं को त्यागने और बौद्ध धर्म के अनुसार करुणा और प्रेम जैसे सद्गगुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। यहां कई तिब्बती त्योहार, विशेषकर लोसार, पूर्ण श्रद्धा के साथ मनाए जाते हैं। लोसार त्योहार, नए साल की शुभ शुरुआत को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है। इस त्योहार के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी यहां उपासना करने आते हैं।

मेचुका अपने अक्षुण सोंदर्य, सांस्कृतिक जनजातियों और लहराती नदियों के लिए भी जाना जाता है, जो कि कयाकिंग और राफ्टिंग जैसे खेलों के लिए उपयुक्त स्थान है। तिब्बत में मानसरोवर झील के आसपास के ग्लेशियरों से निकलने वाली स्यांग नदी, मेचुका से होकर बहती है और घाटी की एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती है। यहां कई बांस के पुल हैं, जो इस नदी के किनारों को जोड़ते हैं। नदी के ऊफनते पानी के ऊपर जब ये बांस के पुल, चलने से हिलने लगते हैं तो यह अनुभव पर्यटकों को रोमांच से भर देता है। इस कृषि क्षेत्र की घाटियों की ढलानों पर, चावल के सीड़ी नुमा खेत और अनेक छोटे फार्म देखे जा सकते हैं। मेचुका घाटी मेम्बा, रामो, बोकर और लिबो जनजातियों का घर है।

अन्य आकर्षण