हथियार, सदियों से इस राज्य की आदिवासी जीवन का अभिन्न अंग रहा है। इन्हें युद्ध के समय सुरक्षा के उपयोग के अलावा, रोजमर्रा के कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता है। इनमें से अधिकतर हथियार स्थानीय रूप से बनाए जाते हैं। इनमें से कुछ का चलन अब खत्म हो चुका है, और उनका स्थान अधिक आधुनिक और नये हथियारों ने ले ली है। अकास जनजाति तीर और कमान बनाने के लिए जानी जाती हैं, जिन्हें यहां की भाषा में क्रमशः त्केरी और मू कहा जाता है। इनका उपयोग बड़े पैमाने पर शिकार के दौरान किया जाता है, और उपयोगकर्ता की आवश्यकता के अनुसार ये भिन्न-भिन्न आकार के होते हैं। शिकार में उपयोग किए जाने वाले तीर आकार में बड़े होते हैं, और उनकी नोक पर लोहा और एकोनाइट ज़हर लगा रहता है। इन्हें बांस के खोल में रखा जाता है, जिसे थूओवू कहते है। वहीं आमतौर पर धनुष को कंधे पर लटकाया जाता है।

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