उदयगिरि की गुफाएं विदिशा के पश्चिम में लगभग 5 किमी और सांची से 13 किमी की दूरी पर स्थित हैं। गुप्त काल की ये गुफाएं, धार्मिक मूर्तियों की बारीक और भव्य नक्काशी करने वाले कारीगरों के कौशल का प्रमाण हैं। ये आज भी धार्मिक व्यक्तियों और कला के पारखियों को प्रेरित करती हैं। उदयगिरि में कुल 20 गुफाएं हैं। आपको यथासंभव अधिक से अधिक गुफाएं देखने की कोशिश करनी चाहिए। चौथी और पांचवीं शताब्दी में इन गुफाओं को बलुआ पत्थर की पहाड़ियों से तराशा गया था। ब्राह्मी लिपि में लिखे शिलालेख इन गुफाओं में पाए जाते हैं जो इन गुफाओं का कालक्रम को पता लगाने में उपयोगी साबित हुए हैं। गुफा 5 में भगवान विष्णु के वाराह अवतार की मूर्ति है जो गुप्त कला का एक सर्वाधिक उपयुक्त उदाहरण माना जाता है। वाराह अवतार की कहानी भगवान विष्णु द्वारा देवी पृथ्वी को हिरण्याक्ष राक्षस से बचाने की कहानी है। जो उन्हें भगाकर गहरे समुद्र में ले गया था। पैनल 7x4 वर्ग मीटर का है जो अत्यंत आकर्षक है। गुप्त राजाओं द्वारा उनकी भूमि (पृथ्वी) को सभी बुराइयों से बचाने के संकल्प को एक चित्र के रूप में दर्शाया गया है। इन गुफा मंदिरों को भारत में धार्मिक वास्तुकला का सबसे अच्छा और प्रारंभिक उदाहरण माना जाता है। शिवलिंग युक्त मंदिर विशेष रूप से दर्शनीय है क्योंकि दीवारों को पौराणिक बारीक नक्काशियों से सजाया गया है।

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