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नक्षत्र वन झारखंड राजभवन के पास स्थित अपनी तरह का एक अलग पार्क है और राँची के सबसे लोकप्रिय आकर्षणों में से एक है। झारखंड वन विभाग द्वारा निर्मित पार्क को विभिन्न खंडों में विभाजित किया गया है, जो प्रत्येक नक्षत्र अथवा तारे का प्रतिनिधित्व करता है। प्रत्येक नक्षत्र हिंदू खगोल विज्ञान और ज्योतिष के अनुसार, एक राशि से संबंधित है। पार्क की सबसे खास विशेषता पार्क के केंद्र में स्थापित धनवंतरी अर्थात आयुर्वेदिक चिकित्सा की देवी की मूर्ति है। यह पार्क अपने खूबसूरत संगीतमय फव्वारे के लिए भी प्रसिद्ध है, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। पार्क के रास्ते फूलों की विभिन्न प्रजातियों के साथ पंक्तिबद्ध हैं। पार्क को तारामंडल गार्डन के रूप में भी जाना जाता है और इसमें बच्चों के लिए कई झूलों के साथ एक अलग खंड भी है।
लालखटंगा में स्थित जैव-विविधता पार्क राँची में आने वाले स्थानीय लोगों और पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय साप्ताहिक छुट्टियां बिताने के एक लोकप्रिय स्थल के रूप में उभरा है। इसका कारण प्रकृतिक पगडंडियां और समृद्ध किस्म की वनस्पतियां हैं। सुंदर संपदा का पता लगाने के लिए दो से तीन घंटे के समय की ज़रूरत है। पार्क में सूर्यास्त बिंदु, झरना, कछुआ पार्क और जापानी और ओरिएंटल वनस्पतियों और औषधियों के पौधों का छोटा उद्यान भी है। दुर्लभ और प्रभावशाली पौधों के संरक्षण के उद्देश्य से निर्मित यह पार्क कैक्टस हाउस और एक जलीय उद्यान केंद्र भी है। यह सोमवार को छोड़कर सभी दिनों में सुबह 10 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है।
धुर्वा क्षेत्र में स्थित हटिया बांध 7 वर्ग किमी क्षेत्र को घेरता है और शहर से लगभग 15 किमी दूर है। बांध पर कंकरीट की एक छतरी बनी हुई है जहां पर्यटक बांध के पास ठंडी हवा का आनंद ले सकते हैं। यह सूर्यास्त देखने या तैराकी के लिए गोता लगाने के लिए एक आदर्श स्थान है।
पतरातू का विचित्र छोटा सा शहर राँची से एक दिन की यात्रा के लिए बहुत अच्छा है। भव्य पतरातू घाटी लोगों में अपने अनोखेपन और अद्वितीय सुंदरता की छाप छोड़ती है। निस्संदेह राँची के आसपास के सबसे मनोरम स्थानों में से एक यह घाटी अपनी घुमावदार सड़कों और हेयरपिन झुकाव के लिए प्रसिद्ध है जिसका नज़ारा पहाड़ियों से देखने लायक़ है। पतरातू जाने वाले पर्यटकों को सबसे अधिक उत्साह उत्पन्न करने वाले अनुभवों में से एक पतरातू बांध के जलाशय में शांतिपूर्ण नाव की सवारी भी है। राँची से पतरातू तक का मनोरम ड्राइव बहुत सुख देने वाला होता है क्योंकि इसमें प्राकृतिक दृष्य बहुत दुर्लभ हैं। घाटी के शानदार दृश्यों को देखने के लिए अपने रास्ते में जलेबी घाट पर रुकें। पतरातू उन लोगों के लिए आनंद का स्रोत है, जो लम्बी ड्राइव करना पसंद करते हैं।
राँची से लगभग 45 किमी की दूरी पर स्थित जोन्हा जलप्रपात 141 फीट की ऊंचाई से गिरता है। यहां पास ही में भगवान बुद्ध का मंदिर होने के कारण इसको गौतमधारा जलप्रपात भी कहा जाता है, जहां देशी पर्यटकों की बड़ी संख्या देखी जाती है।
हरे-भरे जंगलों के बीच रांची से लगभग 60 किमी दूर स्थित रामगढ़ नदी 121 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरती है और हिरनी जलप्रपात में तबदील जो जाती है। वे एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल हैं जो पर्यटकों को उनके प्राकृतिक मन को अपनी ओर आमंत्रित करती हैं।
शहर के बाहरी इलाके में सीता जलप्रपात अपने प्राकृतिक परिवेश, दुर्गम रास्तों और चट्टानी इलाकों से साहसी और उत्साही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। पर्यटक इसके आसपास के क्षेत्र में जलप्रपात और शिविर का आनंद भी ले सकते हैं। स्थानीय लोगों का यह मानना है कि इन जलप्रपातों का नाम रामायण की देवी सीता के नाम पर रखा गया था, क्योंकि वह भी अपनी सुंदरता के लिए जानी जाती थीं।
स्वर्णरेखा नदी 320 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरती है तो हैरतनाक हुंडरू जलप्रपात बनता है और एक सारा जल तालाब में तब्दील हो जाता है। पर्यटक इस तालाब में स्नान करके मन को ठंडक पहुंचा सकते हैं। इसके किनारे पिकनिक भी मना सकते हैं। झरने पर्यटकों के लिए एक शानदार ट्रेकिंग स्पॉट भी हैं, क्योंकि वहां तक पहुंचने के लिए 750 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है।
दस शानदार नदियों में विभाजित दाशम घाघ जलप्रपात को उपयुक्त नाम दिया गया है। प्राचीन स्वर्णलेखा नदी की एक सहायक नदी कांची नदी से अपना जल प्रवाह करते हुए यह झरना 144 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरता है। झरने की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर और जनवरी के महीनों के बीच होता है, जब यह जल धाराएं अपने पूरे यौवन के साथ प्रवाहित होती हैं।
राँची से लगभग 55 किमी दूर स्थित, बनाई नदी की पांच धाराओं से बना पंचघाघ जलप्रपात एक सुंदर और मनोरम स्थल है। हालांकि पानी ज़्यादा ऊंचाई से नहीं गिरता, फिर भी इसकी गर्जन को पास से सुना जा सकता है। सभी पांचो धाराएं चट्टानों को ज़ोर से टक्कर मारती हैं। झरने के नज़ारे को देखने के लिए मानसून और सर्दियों का मौसम सबसे अच्छा होता है जब सारी जलधाराएं अपने पूरे प्रताप में होती हैं। ऊंचाई पर जाकर आसपास क्षेत्र के सुंदर मनोरम दृश्य को देख सकते हैं। बनाई नदी की पांच धाराओं से पांच छोटे तालाब बनते हैं, जिसको कोई भी झरने के रास्ते में देख सकता है। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत के पांडवों ने इन पांच तालाबों का उपयोग अपने निर्वासन के अंतिम वर्ष के दौरान खुद को छिपाने के लिए किया था।
राँची पहाड़ी की तलहटी में स्थित राँची झील शहर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। एक आदर्श संतोषदायक जगह है। यहां नौका-चालन का अवसर उपलब्ध है, जो अपने आसपास की प्राकृतिक सुंदरता को महसूस करने का उत्तम तरीका है। इस झील का निर्माण वर्ष1842 में कर्नल ओन्सली नाम के एक ब्रिटिश नागरिक ने कराया था। पर्यटक राँची हिल पर भी जा सकते हैं, जिसमें एक शिव मंदिर है। यहां से, पर्यटक आसपास के नज़ारे का मनोरमम दृश्य भी देख सकते हैं। पर्यटक झील के किनारे पिकनिक का आनंद भी उठा सकते हैं। झील की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय मानसून के दौरान का होता है, जब यह झील हरे रंग के पन्ने के मुकुट में जड़े हुए एक प्राचीन हीरे की तरह प्रतीत होती है। शहर के भ्रमण के दौरान, राँची झील एक सुंदर अनुभव प्रदान करती है।
300 फीट की ऊंचाई पर टैगोर हिल पर्यटकों के ठहरने का एक प्रमुख स्थान है, जहां सूर्योदय और सूर्यास्त का प्राकृतिक दृश्य मनोरम होता है। कहा जाता है कि रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई ज्योतिंद्रनाथ टैगोर इस पहाड़ी की सुंदरता पर मोहित हो गये थे। उन्होंने वर्ष1908 में पहाड़ी का भ्रमण किया था। उन्हें यहां के दृश्यों से बेपनाह स्नेह हो गया था। जल्द ही, उन्होंने पहाड़ी पर अपना शिविर स्थापित किया, जिसके बाद इसे टैगोर हिल के नाम से जाना जाने लगा। पर्यटक इस पहाड़ी की बुनियाद पर स्थित रामकृष्ण मिशन आश्रम का भी दौरा कर सकते हैं, जो कि एग्रेरियन वोकेशनल इंस्टीट्यूट और दिव्यायन का केंद्र है। टैगोर पहाड़ी पर राँची के सभी हिस्सों से आसानी से पहुंचा जा सकता है। पहाड़ी खोजियों और चढ़ाई करने वालों के लिए एक ख़ुशी का अवसर प्रदान करती है। शीर्ष पर पहुंचने के लिए लगभग 200 सीढ़ियां चढ़ने की आवश्यकता होती है।
पहाड़ी की चोटी कंक्रीट की इमारतों के पंक्तिबद्ध शहर का 360 डिग्री दृश्य प्रस्तुत करती है, जिसकी पृष्ठभूमि में बहुत ही सुंदर हरी-भरी पहाड़ियां हैं।
राँची के गोंडा हिल्स में रॉक गार्डन एक प्रसिद्ध पिकनिक स्थल है जहां पर्यटक कई मनोरंजक गतिविधियों जैसे नौका-चालन, अंतरिक्ष की सवारी और डरावने शो का आनंद उठा सकते हैं। बच्चों के साथ जाने का एक आदर्श स्थान है, एक ही चट्टान को तराश कर सुंदर पार्क को उकेरा गया है और यह चारों तरफ़ कांके डैम झील के शांदार दृश्य को दर्शाता है। इस पार्क में एक छोटा सा हैंगिंग ब्रिज (पुल) और मानव निर्मित झरना भी है, जो इसकी सबसे बड़ी खासियत हैं। पार्क की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय सुबह और शाम का होता है, जब यहां से सूर्योदय और सूर्यास्त का दर्शन किया जा सकता है। सूर्यास्त बिंदु इस पार्क में सबसे अधिक समय तक रहता है और यह क्षण फोटोग्राफी का एक अनुकूल वातावरण बनाता है। पार्क में बच्चों के लिए एक विशेष खेल का मैदान है, मनोरंजन के कई साधन हैं और एक फूड पार्लर भी है। पार्क के भूत बंगला या हॉरर पार्क में जा कर पर्यटक सबसे रोमांचकारी अनुभव प्राप्त कर सकते हैं, जिसे मिस्र के पिरामिड जैसी संरचना के तहत स्थापित किया गया है।
शहर का लोकप्रिय पर्यटन स्थल ‘राँची हिल’ 2,140 फीट की ऊंचाई पर है, जहां से शहर का एक मनोरम दृश्य आंखों के सामने होता है। मुख्य आकर्षण एक सदियों पुराना मंदिर है, जो पहाड़ी मंदिर के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। 468 सीढ़ियां चढ़ने के बाद भक्त‘पहाड़ी बाबा’अर्थात भगवान शिव के मंदिर में पहुंचते हैं, जिनकी पूजा यहां लिंगम के रूप में की जाती है। पर्यटक राँची के सुंदर झरने की भी यात्रा कर सकते हैं, जो पहाड़ी के निचले हिस्से में है। जिसका निर्माण कर्नल ओन्सली नामक ब्रिटिश नागरिक ने वर्ष 1842 में कराया था। यह झील शहर का पर्यटन केंद्र है। पर्यटक प्राकृतिक जल में नौका-चालन के माध्यम से इसके आसपास की सुंदरता को भी देख सकते हैं। झील के किनारों पर पिकनिक और शांति और सुकून का आनंद उठाया जा सकता है।
अति-सुंदर हज़ारीबाग़ झील बहुत प्रसिद्ध सुंदर शहर हजारीबाग पर्यटकों के लिए आकर्षण केंद्र है। ऊंचे पेड़ों से घिरी झील आगंतुकों को प्राकृतिक सुंदरता का साक्षी बनने का मौका देती है। झील में नौका-चालन की सुविधा भी उपलब्ध है। शहर में एक अन्य लोकप्रिय आकर्षण हजारीबाग वन्यजीव सैंचुअरी है, जहां विभिन्न प्रकार की पशु प्रजातियां मौजूद हैं। यहां चीतल, सांभर, जंगली सूअर, नीलगाय और सुस्त भालू तथा अन्य प्राणियों को देखा जा सकता हैं। हजारीबाग में भी बहुत सारे मंदिर हैं और उन सभी में सबसे अधिक दर्शनीय राजरप्पा मंदिर है। भारत में 51 शक्तिपीठों में से एक (भक्ति मंदिर जहां दैवी शक्ति के शरीर के अलग-अलग हिस्से गिरे थे) यह मंदिर देश के सभी हिस्सों से भक्तों आते हैं। मंदिर का भव्य और रंगीन शिखर विभिन्न हिंदू देवताओं की जटिल नक्काशी से सुशोभित है। हजारीबाग राँची से 95 किमी की दूरी पर है और पूरे साल एक सुखद जलवायु का आनंद देता है।