पुरी रेत तट

पुरी रेत तट (बीच) शानदार सुनहरे रेत का एक तट है जहां पर शानदार समुद्री भोजन और दिखावटी साज सज्जा के सामानों के कई स्टॉल हैं। यह उन तीर्थ यात्रियों में बहुत लोकप्रिय है जो यहां के प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की मंदिर में पूजा करने के लिये आते हैं। रेत तट के समानांतर चलने वाली भव्य मरीन ड्राइव सड़क, लंबी सैर के लिए काफी लोकप्रिय है। पुरी बीच की महीन रेत और बंगाल की खाड़ी से उठने वाली पानी के गर्जन की आवाज, पर्यटकों को सालों भर रोमांचित करते रहते हैं। चौड़े किनारे वाली बेंत की टोपियों पहने स्थानीय मछुआरे, उत्कृष्ट होटल और गेस्टहाउस आदि, इस रेत तट को छुट्टी बिताने योग्य एक आदर्श गंतव्य बनाते हैं, जहाँ आप बहुत सारी चीज़ें कर सकते हैं। रेत तट पर उभरती लहरें सर्फिंग प्रेमियों का पसंदीदा तट है। पर्यटक यहाँ पर घूम और टहल सकते हैं, स्थानीय विक्रेताओं से मोती और सीपों से बने स्मृति चिह्न ख़रीद सकते हैं, या प्रभावशाली रेत से बनी मूर्तियों की भव्यता देख सकते हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त स्थानीय कलाकार, सुदर्शन पटनायक की कलाकृति भी शामिल है। इस समुद्र तट पर हर साल, वार्षिक पुरी बीच महोत्सव का आयोजन होता है। यहां खाद्य पदार्थों और स्नैक्स बेचने वाली ढेर सारी दुकानें रहती हैं; जहां समुद्र से ताज़े पकड़े, तले,भुने और पिसे हुए समुद्री भोजन, जैसे झींगे, केकड़े और पॉमफ्रेस्ट आदि के पकवान मिलते हैं, साथ ही सब्जी के पकौड़े भी मिलते हैं। पुरी तट पर एक लाइट हाउस (प्रकाश स्तंभ) भी है जो शाम 4 बजे से 6 बजे तक खुला रहता है। प्रकाश स्तंभ के ऊपर से आप, समुद्र और रेत तट के शानदार दृश्य देख सकते हैं।

पुरी रेत तट

गोपालपुर

यह छोटा सा शहर गोपालपुर, बेरहामपुर से 16 किमी और पुरी से 173 किमी दूरी पर है। यह ओडिशा का एक लोकप्रिय रेत तट है, जो पूरे देश से आने वाले पर्यटकों को अपने स्वच्छ और नीले पानी से लुभाता है। बंगाल की खाड़ी पर स्थित, यह रेत तट समुद्री उपासकों के लिए एक बेहद आकर्षक गंतव्य है। इस रेत तट से सूर्योदय और सूर्यास्त बहुत ही अद्भुत दिखते हैं और इसीलिए यह स्थान पर्यटन योग्य है। रोमांच के दीवाने लोग यहां सर्फिंग और पाल-नौकायन पर अपना हाथ आजमा सकते हैं और उन अछूते स्थानों पर जा सकते हैं जहां पहले कोई नहीं गया हो। आज इसे लोकप्रिय रूप से पाल-नाविकों के स्वर्ग के रूप में जाना जाता है, जब कि प्राचीन काल में इस समुद्र तट का, कलिंग के समुद्री यात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में उपयोग होता था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भी यह एक महत्वपूर्ण सैन्य बंदरगाह था जहां से सैनिकों ने बर्मा (अब म्यांमार) प्रस्थान करते थे। यहीं सन् 1914 में, ओडिशा का पहला आधुनिक होटल स्थापित किया गया था। यह रेत तट कैजुरीना के पेड़ों से भरा पड़ा है, और यह भारत के सबसे साफ सुथरे रेत तटों में से एक है। यहां पर समुद्र की लहरे काफी बड़ी तेज और गहरी होती हैं जिसे झेलना दिग्गज तैराकों के लिये भी कठिन है, फिर भी यहां काफी कुछ किया जा सकता है। आप यहां शांति से टहल सकते हैं और रेत तट के दृश्यों को आत्मसात कर सकते हैं, या शहर के चारों ओर घूम सकते हैं, जहां पुराने युग की पुरानी, सुंदर इमारतें हैं। समुद्री खाने के शौकीनों को यहां बहुत सारे फूड ज्वाइंट मिल जाएंगे। कलिंग डाइवर्स एसोसिएशन के सौजन्य से यहां बोटिंग और वाटर स्पोर्ट्स/जल क्रीड़ा की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।

गोपालपुर

स्वर्गद्वार रेत तट /बीच

स्वर्गद्वार, जिसका शाब्दिक अर्थ स्वर्ग का द्वार है, यह रेत तट जगन्नाथ मंदिर के बहुत करीब है। ऐसा माना जाता है कि यह वैष्णव संत श्री चैतन्यदेव का स्नान स्थल रहा है। बहुत ही सुरम्य होने के अतिरिक्त यह धार्मिक महत्व का भी है। हजारों भक्त, पास के महादधि स्नान स्थल के पवित्र जल में डुबकी लगाने के लिए, सालो भर यहां आते रहते हैं। जैसा कि हिंदू धर्म में माना जाता है कि जो लोग यहां डुबकी लगाते हैं, वे मोक्ष प्राप्त करते हैं और मृत्यु के बाद सीधे स्वर्ग पहुंच जाते हैं। भक्त यहां यह प्रार्थना करते हैं कि मृत्यु के बाद वे, और उनके प्रियजन भी स्वर्ग जाएं। इस रेत तट को, एक शांतिपूर्ण और अद्भुत वातावरण का वरदान प्राप्त है। पास में ही में स्वर्गद्वार श्मशान घाट है, जिसका भी बहुत महत्व है।

स्वर्गद्वार रेत तट /बीच

पुरी रेत तट

पुरी रेत तट (बीच) शानदार सुनहरे रेत का एक तट है जहां पर शानदार समुद्री भोजन और दिखावटी साज सज्जा के सामानों के कई स्टॉल हैं। यह उन तीर्थ यात्रियों में बहुत लोकप्रिय है जो यहां के प्रसिद्ध भगवान जगन्नाथ की मंदिर में पूजा करने के लिये आते हैं। रेत तट के समानांतर चलने वाली भव्य मरीन ड्राइव सड़क, लंबी सैर के लिए काफी लोकप्रिय है। पुरी बीच की महीन रेत और बंगाल की खाड़ी से उठने वाली पानी के गर्जन की आवाज, पर्यटकों को सालों भर रोमांचित करते रहते हैं। चौड़े किनारे वाली बेंत की टोपियों पहने स्थानीय मछुआरे, उत्कृष्ट होटल और गेस्टहाउस आदि, इस रेत तट को छुट्टी बिताने योग्य एक आदर्श गंतव्य बनाते हैं, जहाँ आप बहुत सारी चीज़ें कर सकते हैं। रेत तट पर उभरती लहरें सर्फिंग प्रेमियों का पसंदीदा तट है। पर्यटक यहाँ पर घूम और टहल सकते हैं, स्थानीय विक्रेताओं से मोती और सीपों से बने स्मृति चिह्न ख़रीद सकते हैं, या प्रभावशाली रेत से बनी मूर्तियों की भव्यता देख सकते हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त स्थानीय कलाकार, सुदर्शन पटनायक की कलाकृति भी शामिल है। इस समुद्र तट पर हर साल, वार्षिक पुरी बीच महोत्सव का आयोजन होता है। यहां खाद्य पदार्थों और स्नैक्स बेचने वाली ढेर सारी दुकानें रहती हैं; जहां समुद्र से ताज़े पकड़े, तले,भुने और पिसे हुए समुद्री भोजन, जैसे झींगे, केकड़े और पॉमफ्रेस्ट आदि के पकवान मिलते हैं, साथ ही सब्जी के पकौड़े भी मिलते हैं। पुरी तट पर एक लाइट हाउस (प्रकाश स्तंभ) भी है जो शाम 4 बजे से 6 बजे तक खुला रहता है। प्रकाश स्तंभ के ऊपर से आप, समुद्र और रेत तट के शानदार दृश्य देख सकते हैं।

पुरी रेत तट

गोपालपुर रेत तट/बीच

बंगाल की खाड़ी में गोपालपुर का छोटा शांत शहर, जो पहले एक बंदरगाह था, अपने प्राचीन रेत तट के लिए प्रसिद्ध है। महीन रेत, गहरे और साफ नीले पानी के साथ, गोपालपुर रेत तट समुद्र में तैराकी के लिये एक आदर्श स्थान है। और अगर आप बेहतर तैराक नहीं हैं, तो स्थानीय मछुआरे, नुलिया लोग आपकी मदद कर सकते हैं। सुनहरी रेत पर समुद्र की लहरों के लगातार बिखराव के कारण गोपालपुर, देश के पूर्वी सागर किनारे के सबसे बेहतरीन रेत तटों में से एक बन गया है। पुराने बंदरगाह का खंडहर, एक लाइटहाउस और कुछ औपनिवेशिक शैली के बने पुराने बंगले, गोपालपुर के अतीत के, और सन् 1942 तक इस वाणिज्यिक शहर के हलचल भरे इतिहास के साक्षी हैं, जब से यह बंदरगाह बंद हो गया है। दक्षिणी ओडिशा के केंद्र बेरहामपुर से, मुश्किल से 16 किमी की दूरी पर स्थित यह तट, विश्राम के साथ खुद को तरो ताजा करने के लिए एक आदर्श गंतव्य है। जब चाहे यहां तैरें, या समुद्र तट पर लंबी सैर करने निकल जायें, या मछुआरों को दूर की लहरों पर चढ़ते उतरते देखें, आप इस जगह की नीरवता से तर बतर हो जायेंगे।

गोपालपुर रेत तट/बीच