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पेशवाओं के इस महल का निर्माण शनिवार को शुरू किया गया था और इसीलिए इसका नाम शनिवार पड़ा। इस 13 मंजिला इमारत को 1730 में बाजीराव प्रथम द्वारा शुरू किया गया था और अंत में इसे 1732 में तैयार किया गया था। सुरक्षा को यहां प्रमुख महत्त्व दिया गया था। इसमें नौ गढ़ और पांच द्वार (दिल्ली दरवाजा, मस्तानी दरवाजा, खिड़की दरवाजा, गणेश दरवाजा और नारायण दरवाजा) थे। यह किला 18 वीं शताब्दी में भारतीय राजनीति का केंद्र था। इसकी स्थिति में बदलाव मराठा साम्राज्य के तेजी से ऊंचाइयों के साथ आया। 1828 में किला आग में आंशिक रूप से नष्ट हो गया था। जो भी संरचनाएं बची हुई हैं, उन्हें अब पर्यटन की दृष्टि से बढ़ावा दिया जा रहा है। पर्यटकों को किले के परिसर में बना कमल के आकार के फव्वारे को अवश्य देखना चाहिए।