महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी की याद में बनाया गया यह मंदिर पोरबन्दर का सबसे महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थल है। बापू के पुश्तैनी मकान के ठीक बगल में बने इस मंदिर को अब एक छोटे से संग्रहालय के रूप दे दिया गया है, जहां बापू द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली कुछ वस्तुओं के साथ-साथ उनके कुछ पुराने फोटोग्राफ भी प्रदर्शित किए गये हैं। इस संग्रहालय में एक पुस्तकालय भी है, जहां गांधीजी द्वारा लिखी गयी पुस्तकें रखी गयी हैं तथा वह पुस्तकें भी रखी गयी हैं, जो उनके जीवन दर्शन से मेल खाती थीं। गांधीजी के सन 1944 में जेल से रिहा होने के बाद इस मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ किया गया था। यहां आने वाले पर्यटक जब संग्रहालय के गलियारों से होते हुए बापू के पुश्तैनी घर में प्रवेश करते हैं, तो महसूस होता है कि मानो वह खुद भी इतिहास का हिस्सा बन गये हैं। घर में प्रवेश करते ही महात्मा गांधी और उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी के कुछ पुराने चित्र लगे हुए दिखाई देते हैं, जिनमें से कुछ पूरी तरह श्वेत-श्याम हैं। इन चित्रों में दोनों को हंसते-खिलखिलाते देखा जा सकता है। इस मंदिर में दुनियाभर के तमाम नामचीन नेता, गांधीजी को अपने श्रृद्धा सुमन अर्पित करने आते रहे हैं। 

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