शहीद स्मारक का निर्माण सात युवा स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में किया गया थाए जिन्होंने वर्ष 1942 में भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के श्भारत छोड़ो आंदोलनश् के दौरान अपना जीवन त्याग दिया था। यह संरचना काफी आधुनिक है जो शहर के मध्य में पटना सचिवालय के सामने स्थित है। सात बहादुरों की यह मूर्ति उस जगह की और संकेत करती है जहां इन स्वतंत्रता सेनानियों को सभा भवन के ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने का प्रयास करते समय गोली मार दी गई थी।

महात्मा गांधी के आदर्शों पर चलने वाले डॉण् अनुग्रह नारायण को पटना में तिरंगा फहराने के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया गया था। उनकी गिरफ्तारी की प्रतिक्रिया में सात छात्रों ने अपने दम पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का प्रयास कियाए लेकिन अफसोस अंग्रेजों ने उन्हें मार डाला। स्वतंत्रता सेनानियों के नामए स्मारक पर अंकित हैं। ब्रिटिश सैनिकों की गोलियों से शिकार होने वाले स्वतंत्रता सेनानियों का नाम उमाकांत प्रसाद सिन्हा ;रमन जीद्धए रामानंद सिंहए सतीश प्रसाद झाए जगतपति कुमारए देवीपाड़ा चौधरीए राजेंद्र सिंह और रामगोविंद सिंह था। ऐसा कहा जाता है कि उस समय ब्रिटिश सैनिकों ने अंधाधुंध गोलीबारी नहीं की बल्कि उन्होंने केवल उस व्यक्ति पर गोली चलाई जो ध्वज के साथ चल रहा था। लेकिन जैसे एक बहादुर छात्र गोली लगने के कारण गिरताए दूसरा छात्र भागकर उसकी जगह ले लेता था। अंत में वहां सात मृत छात्र और लगभग 14 घायल हुए लोग थे। शहीद स्मारक की आधार शिला 15 अगस्तए 1947 को बिहार के तत्कालीन राज्यपाल श्री जयरामदास दौलतराम द्वारा रखी गई थी। धोती.कुर्ता और गांधी की टोपी में सात छात्रों की मूर्तियां कांस्य धातु से बनाई गई हैं। उनमें से एक छात्र झंडा पकड़े खड़ा है जबकि बाकी छात्र या तो घायल होकर गिर चुके हैं या गिरने वाले हैं।

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करने लायक चीजें

आगंतुक पटना में रहते हुए विभिन्न गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं और अपनी यात्रा को और अधिक रोमांचक बना सकते हैं।

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