पटना के बाहरी इलाके में स्थितए कुम्हरार वह स्थल हैय जहां प्राचीन शहर पाटलिपुत्र के पुरातात्विक अवशेष पाए गए हैं। यहां पाया गया सबसे अनूठा अवशेष एक बलुआ पत्थर से बना 80.स्तंभों वाला हॉल हैए ऐसा माना जाता है कि यह लगभग 300 ईसा पूर्व ;मौर्य कालद्ध का है। माना जाता है कि यहीं पर तृतीय बौद्ध संगीति हुई थी पाटलिपुत्र पर अजातशत्रु ;491दृ459 ईसा पूर्वद्धए चंद्रगुप्त ;321दृ297 ईसा पूर्वद्ध और अशोक ;274दृ237 ईसा पूर्वद्ध जैसे महान राजाओं का शासन था। उत्खनन से पता चला है कि यह शानदार शहर 600 ईसा पूर्व और 600 ईस्वी के बीच फलता.फूलता रहा है। लगभग 1ए000 वर्षों तक पाटलिपुत्र शिशुनागए नंदए मौर्यए शुंग और गुप्त जैसे कई महान भारतीय राजवंशों की राजधानी रही है। यह शिक्षाए कलाए संस्कृतिए वाणिज्य और धर्म के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक था। पाटलिपुत्र का पहला उल्लेख इंडिका में मिलता हैए जो मेगास्थनीज द्वारा 300 ईसा पूर्व में लिखी गई थी। मेगास्थनीज चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में यूनान का राजदूत था। उसने इस शहर को इंडिका में पालिबोथ्रा नाम से उल्लेख किया है। मेगास्थनीज का मानना है किए यह शहर एक समानांतर चतुर्भुज की तरह थाए जो गंगा के साथ लगभग 14 किमी पूर्व.पश्चिम में फैला हुआ था। इस शहर की परिधि लगभग 36 किमी थी। लकड़ी की विशाल दीवारों की चहारदीवारी और गहरी खाईं से यह शहर सुरक्षित था। यह खाईं इस शहर के सीवर का भी काम करती थी। लकड़ी की ये विशाल दीवारें पटना के लोहानीपुरए बहादुरपुरए संदलपुरए बुलंदीबाग और कुम्हरार सहित कई स्थलों के उत्खनन से मिली हैं। आज का कुम्हरार एक पार्क हैए और उत्खनन में निकली चीजों का संग्रहालय है। यह पटना रेलवे स्टेशन से लगभग 6 किमी दूर स्थित है।

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