मेंगलूरू से वाहन द्वारा एक घंटे की दूरी पर स्थित तीर्थ नगरी उडुपी बहुत ही श्रद्धेय कृष्ण मंदिर के लिए लोकप्रिय है। यह मंदिर पश्चिमी घाटों पर पंक्तिबद्ध वनों से ढके पर्वतों एवं शांत अरब सागर के बीच स्थित है। इस मंदिर में छोटी खिड़कियां बनी हैं, जो कनकाना किंडी कहलाती हैं। ऐसा माना जाता है कि यहीं से भगवान कृष्ण अपने भक्त कनकदास को दर्शन दिया करते थे। 

सहयाद्री पर्वत श्रृंखला से घिरा तथा प्राचीन समुद्री तटों वाला शहर उडुपी अपनी 100 किलोमीटर तक फैली तटीय रेखा के लिए भी प्रसिद्ध है। पर्यटक सेंट मैरी आईलैंड भी जा सकते हैं, जो स्थानीय रूप से थोनस पार के नाम से जाना जाता है। नारियल के लहराते हुए पेड़ों एवं काली चट्टानों से घिरे इस टापू पर नाव से पहुंचा जा सकता है, जो अपने आप में एक अनोखा अनुभव है। कापू तट जो उडुपी से 11 किलोमीटर दूर है, वह भी एक अन्य आकर्षक पर्यटक स्थल है। यह स्थल अंग्रेज़ों के ज़माने के लाइटहाउस के लिए प्रसिद्ध है। वन्यजीवों में रुचि रखने वालों के लिए भी उडुपी एक रोमांचक जगह है तथा तटीय क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता देखने के लिए मरावन्थे तट पर स्थित कछुआ पालन केंद्र जा सकते हैं। पक्षियों की गतिविधियों में रुचि रखने वालों को इस क्षेत्र में स्थित पक्षी विहारों में अवश्य जाना चाहिए। उडुपी दक्षिण भारत की प्रसिद्ध लोककला यक्षगान का भी केंद्र है। भव्य मंदिरों एवं दर्शनीय स्थलों के अतिरिक्त यह शहर अद्भुत पकवानों के लिए भी जाना जाता है। उडुपी के बेहद अनोखे व्यंजनों में से मेंगलूरू बन है, जो आटे, केले, जीरा एवं दही से बनाया जाता है। उडुपी, मेंगलूरू से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। आप अगर कर्नाटक की सैर पर निकले हैं तो इस जगह पर अवश्य जाएं।

अन्य आकर्षण