कृष्णा मंडपम

मामल्लपुरम में भगवान कृष्ण का सबसे बड़ा मंडप है। इस मंडपम के अंदरए गोवर्धन के ग्रामीण जीवन के दृश्यों की चट्टानों पर बेहतरीन नक्काशी हैंए जिसमें देहाती जीवन पर विशेष जोर दिया गया है.जिसमें एक चरवाहा गाय को दूध पिला रहा हैए एक किसान बच्चे को अपने कंधे पर लादे हुए हैए एक महिला अपने सिर पर चटाई समेटे जा रही हैए एक युवा दंपत्ति को खूबसूरती से चित्रित किया गया है। सबसे बड़ी नक्काशी में यह दर्शाया गया है कि भगवान कृष्ण ने अपनी उंगली पर पूरे गोवर्धन पहाड़ को उठाकर भगवान इंद्र के प्रकोप से गांव वालों को कैसे बचाया। बारिश इतनी तेज हुई कि सब कुछ डूब सकता थाए लेकिन भगवान कृष्ण ने सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाए रखा। कृष्ण मंडपम अर्जुन की तपस्या स्थल के ठीक बगल में हैए इसी परिसर में गणेश रथ और कृष्ण बटर बॉल भी है।

कृष्णा मंडपम

पंचपांडव मंडपम

मामल्लपुरमए यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल परिसर में एक और दर्शनीय रत्न हैए वह है पंचपांडव मंडपम। यह शहर के सबसे बड़े गुफा मंदिरों में से एक हैए इसका निर्माण पल्लव वंश के राजा नरसिंह वर्मन प्रथम ने 7वीं और 8वीं शताब्दी के बीच करवाया था। रॉक.कट शैली की स्थापत्य कला का यह एक अच्छा उदाहरण है। यह गुफा मंदिर आयताकार आकार में स्तंभों पर खड़ा है। इसके प्रवेश द्वार पर दो बैठे हुए शेरों का पहरा है और थोडी दूर बरामदे के स्तंभों पर भी शेरों की प्रतिमाएं हैं। अंदर के रैंप पर स्तंभों के पीछे शेर और हाथी छिपे हुए हैंए जो दूर से तो नहीं दिखतेए लेकिन पास आने पर अचानक आपके सामने प्रकट हो जाते हैं। गुफा के आगे वाले भाग में छह खंभे हैंए जिनके निचले भाग में शेर बने हुए हैंए जो इसे एक शाही रूप देते हैं। गुफा के भीतर सभी दीवारों परए खंभों परए बरामदे के स्तंभों पर और चट्टानों में बनी कोठरियों में भी बारीक नक्काशी देखने को मिलती हैए जो बहुत ही दिलचस्प है।

पंचपांडव मंडपम

कृष्णा की बटर बॉल

लगभग 16 फुट ऊंचा यह विशाल शिलाखंड मामल्लपुरम के प्रमुख पर्यटक स्थलों में से एक है। गुरुत्वाकर्षण को धत्ता बताते यह विशालकाय शिलाखंड ;बोल्डरद्ध एक बहुत ही छोटे से संकीर्ण आधार पर खतरनाक ढंग से संतुलित पड़ा हुआ है। यह भगवान कृष्ण के मक्खन के प्रति प्रेम का प्रतीक है। पौराणिक कथा के अनुसारए बोल्डर मक्खन की मात्रा का प्रतिनिधित्व करता हैए जिसे भगवान कृष्ण चुराते थे और खाते थे। इसके अलावा एक पुरानी कहानी के अनुसार पल्लव वंश के बहुत सारे राजा अपनी सेना और हाथियों के साथ इस बोल्डर को हिलाने की कोशिश करते थेए लेकिन यह एक इंच भी नहीं हिलता था। बोल्डर की चौड़ाई एवं उसकी ऊंचाई लगभग एक समान है और इसकी आकृति कुछ हद तक गोलाकार हैए पूर्ण गोल नहीं है। आज के दिन यह विशाल शिलाखंड मामल्लपुरम आने वाले सभी पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केन्द्र हैए और अपने अदभुत संतुलन के लिए लोगों को सोच में डाल देता है।

कृष्णा की बटर बॉल

टाइगर केव्स.शेर की गुफाएं

नाम ऐसा लगता है कि यह राजसी बाघों से भरी गुफा होगीए लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है। टाइगर केव्स एक ऐसा नाम हैए जो महावीरपुरम से 5 किमी दूर सालुवंकुप्पम में स्थित चट्टानोंम में बनाये गये मंदिरों में से एक है। यह नाम उन गुफा मंदिरों से लिया गया हैए जिनमें बाघ की तरह दिखने वाले नक्काशीदार सिर का मुकुट है। यह माना जाता है कि पशु वास्तव में पौराणिक याली है और इस स्थान को याली मंडपम भी कहा जाता है। यह एक महान पिकनिक स्थल के हैए जहां बड़ी चट्टानें और रेतीले तट हैं और यह पक्षियों का बसेरा भी है। चूंकि इसकी वास्तुकला एक खुले थिएटर की तरह दिखती हैए इसलिए यहां कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मेजबानी भी होती है। माना जाता है कि गुफा वह स्थान हैए जहां से पल्लव राजा अपनी जनता को संबोधित करते थे।

टाइगर केव्स.शेर की गुफाएं

अर्जुन की तपस्या

अर्जुन की तपस्याए माना जाता है कि यह दुनिया की अपनी तरह की सबसे बड़ी संरचना हैए दो अखंड शिलाखंडों पर की गई विशाल नक्काशीए जो 43 फीट ऊंची और 100 फीट लंबी है। यह यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में भी शामिल है। व्हेल मछली के पीठ के आकार की इस विशाल शिलाखंड पर देवताओंए पक्षियोंए जानवरों और संतों की 100 से अधिक मूर्तियां बनायी गयी हैं। इस अवशेष पर महाभारत का एक दृश्य अंकित हैए जहां अर्जुन तपस्या में लीन हैं और भगवान शिव से अनपे शक्तिशाली और दिव्य धनुष के लिए प्रार्थना करते हुए नज़र आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अर्जुन को महाभारत के युद्ध में कौरवों को हराने के लिए इस धनुष की आवश्यकता थी। एक अन्य किंवदंती के अनुसार इस स्थान पर गंगा अवतरित हुईं थी। यह मान्यता भी है कि राजा भागीरथ ने एक पैर पर खड़े होकर घोर तपस्या की और भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह गंगा नदी को स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरने दें ताकि उनके पूर्वज मोक्ष प्राप्त कर सकें।

अर्जुन की तपस्या

पंच रथ

मामल्लपुरम परिसर में मौजूदए पंच रथ या पाण्डव रथए यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों का एक हिस्सा हैए यहां पांच चट्टानों पर शानदार नक्काशी की गई हैए जो हिंदू महाकाव्यए महाभारत के पात्रों पर आधारित है। मामल्लपुरम के दक्षिणी छोर पर यह नक्काशी द्रविड़ वास्तुकला का सुन्दर प्रमाण है। इनका निर्माण दक्षिण भारतीय मंदिरों के रूप में किया गया थाए लेकिन प्राण.प्रतिष्ठा नहीं होने के कारणए इन्हें कभी पूजा के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया। पंच रथ मंदिर पांडव भाइयों के हैं. युधिष्ठिरए भीमए अर्जुनए नकुल और सहदेवए और उनकी पत्नी द्रौपदी. पांचाली ;पांच.पतिद्ध। पंच रथ परिसर का निर्माण 7वीं और 8वीं शताब्दी के बीचए पल्लव वंश के नरसिंह वर्मन प्रथम के द्वारा कराया गया था। मंदिर पैगोडा के आकार में बने हैं और बौद्ध मंदिरों के समान दिखते हैं। पांडवों और द्रौपदी के रथों में एक हाथीए एक शेर और नंदी बैल की मूर्तियां हैंए जो क्रमशः भगवान इंद्रए देवी दुर्गा और भगवान शिव के वाहन हैं।

पंच रथ