केरल में ताजे पानी की बड़ी झीलों में से एक वेंबनाड झील एक शानदार पर्यटक स्थल है। सदाबहार वनों और नारियल के पेड़ों से घिरी इस खूबसूरत झील का पानी शीशे की तरह चमकता है। इस झील में हाऊसबोट का आनंद लेना अधीर मन को संतुष्टि और शांति से भर देता है। ये हाऊसबोट सैलानियां को झील के अंदरूनी हिस्सोंए छोटे.छोटे गांवोंए टापुओं को करीब से देखने का अवसर देते हैं। इस झील के शांत पानी पर घूमना पर्यटकों को बहुत सुहाता है। फिर चाहे वो छोटी नावोंए कश्तियों में थोड़ी देर की सवारी हो जो उन्हें पानी की संकरी नहरों की सैर कराती है या फिर आलीशान सुविधाओं युक्त हाऊसबोट में बिताए जाने वाले कई घंटेए जो उन्हें ताड़ और नारियल के पेड़ों से घिरे इस झील के तमाम हिस्सां में ले जाते हैं।

ये हाऊसबोट दरअसल इन बैकवॉटर्स में किसी जमाने में चलने वाली ऊपर से ढकीं लकड़ी की बड़ी.बड़ी पारंपरिक नावों ष्केट्टुवलमष् की ही आधुनिक रूप हैं जो चावलए मसाले आदि नजदीकी शहरों में ले जाने के काम आती थीं। सड़क.परिवहन को महत्व मिलने के बाद इन नावों का उपयोग कम होने लगा और बाद में इन्हें पर्यटकों के लिए आधुनिक सुख.सुविधाओं से युक्त तैरते आलीशान होटलों में तब्दील कर दिया गया। जहां इस झील और इसके आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य देखने वालों को हैरान कर देता है वहीं ये हाऊसबोट और इनकी अंदरूनी साज.सज्जा भी उनके इस अनुभव को और बढ़ाती है।

पारंपरिक तौर पर केट्टुवलम 60 फुट लंबी और 15 फुट चौड़ी लकड़ी की नावें होती हैं। अब कुछ नई हाऊसबोट 80 फुट तक भी लंबी होने लगी हैं। ये हाऊसबोट अमूमन स्थानीय तौर पर मिलने वाले प्राकृतिक उत्पादों जैसे कि कटहल के पेड़ की लकड़ीए ताड़ की लकड़ीए नारियल के रेशेए बांसए रस्सियोंए आदि से बनाई जाती हैं जिनमें सवारी करते समय किसी किस्म का अपराधबोध नहीं होता है। नाव बनाने के लिए इन सब चीजों को कीलों से जोड़ने की बजाय रस्सियों से बांधा जाता है। लकड़ी के तख्तों पर काजू के खोल से मिलने वाली राल की परत चढ़ाई जाती है। हाऊसबोट की छतें बांस और ताड़ की पत्तियों से बनाई जाती हैं। अब इनमें से कुछ नावों की छतों पर बिजली का उत्पादन करने के लिए सोलर.पैनल भी लगाए जाने लगे हैं। यदि ठीक से देखरेख की जाए तो ये नावें दशकों तक चलती रहती हैं।

83ण्72 किलोमीटर लंबी और 14ण्48 किलोमीटर चौड़ी वेंबनाड झील में एक छोटा.सा खूबसूरत टापू भी है। पक्षी देखने के शौकीनों के लिए यह पाथिरामनल ;आधी रात की रेतद्ध नामक यह द्वीप सचमुच किसी स्वर्ग से कम नहीं है। यहां 50 किस्म के विदेशी और 91 प्रकार के देसी पक्षी पाए जाते हैं। आमतौर पर यहां चैतीए लंबी पूछ वाली बत्तखेंए जलकौवेए बगुलेए डार्टरए भारतीय शैगए सीटी जैसी आवाज निकालने वाली बत्तखेंए कोरमोरेंटए अबाबील आदि देखे जा सकते हैं। इस टापू पर बहुत सारे औषधीय पौधे भी पाए जाते हैं।

यहां के भ्रमण के लिए सबसे उपयुक्त समय अगस्तए सितंबर का है जब यह जगह कई प्रकार के उत्सवों का केंद्र बिंदु होती है। फसलों के त्योहार ओणम के दौरान सर्पीली नावों की दौड़ आयोजित की जाती है जिसमें एक.एक नाव पर करीब सौ लोगों को पानी को चीरते हुए उसे खेते देखने का अनुभव निराला ही होता है। इस झील की एक बड़ी विशेषता थन्नीरमुक्कम नाम का मिट्टी से बना हुआ देश का सबसे बड़ा बांध है जो इस झील को दो हिस्सों में बांटता है जिनमें से एक हिस्सा बारहों महीने खारे पानी से भरा रहता है और दूसरा हिस्सा ताजे मीठे पानी का है जो नदियों से आता है।

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