केरल के हृद्य में स्थित शांत और सुकून से भरा कोट्टायम अपने बैकवॉटर्स ;खारे पानी के लैगूनद्ध के दूर.दूर तक फैले खूबसूरत नजारों और धान के खेतों से पर्यटकों का दिल खोल कर स्वागत करता है। पूर्व में उदात्त पश्चिमी घाट और पश्चिम में शांत वेंबनाड झील कोट्टायम शहर को एक द्वीप सरीखी संरचना प्रदान करती है। बैकवॉटर्स के शांत पानी पर धीरे.धीरे बहते हाऊसबोट क्रूज से लेकर छोटी कश्तियों की सवारी जैसे बहुत सारे तरीकों से कोट्टायम की फिजा के सुंदर दृश्यों को देखा जा सकता है जो कि पक्षियों को देखने के शौकीनों यानी बर्ड.वॉचर्स के लिए भी एक उपयुक्त स्थान है। वेंबनाड झील के इर्द.गिर्द बहुत सारे दुर्लभ किस्म के जीव जैसे कि सफेद बगुलेए डार्टरए चैतीए साइबेरियाई सारस आदि देखे जा सकते हैं। ष्कोट्टायमष् का शाब्दिक अर्थ है ष्किले का भीतरी हिस्साष्। इस जगह का नाम यह इसलिए पड़ा क्योंकि पहले यह त्रावणकोर रियासत का हिस्सा होता था। प्रिंट मीडिया और साहित्य में इस जगह के योगदान को देखते हुए यह जगह ष्अक्षर नगरीष् के नाम से भी लोकप्रिय है।

कोट्टायम भारत का पहला शहर है जिसने सन 1989 में 100 प्रतिशत साक्षरता दर प्राप्त की थी। साथ ही यह जगह केरल के सांस्कृतिक मानचित्र में भी महत्वपूर्ण स्थान रखती है। मलयालम में पहली आत्मकथा वैकम पाचु मूथाटु नामक विद्वान ने सन 1870 में यहीं से प्रकाशित की थी। इस जगह को ष्सिटी ऑफ लेटेक्सष् भी कहा जाता है क्यांकि भारत में रबड़ की कुल पैदावार का एक बड़ा हिस्सा यहां से ही आता है।