अधिष्ठातृ देवता श्री वेंकटचलपति वाले इस मंदिर का निर्माण गौड़ा सारस्वत ब्राह्मणों ने करवाया था जो कि कर्नाटक के रहने वाले थे लेकिन बाद में केरल आ गए थे। हालांकि, मंदिर की वास्तुकला तमिलनाडु के मंदिरों से मिलती जुलती है, लेकिन केरल के मंदिरों से मेल नहीं खाती।  मंदिर में देवता तीन पंक्तियों में विराजमान हैं। एक ओर मुख्य देवताओं में श्री वेंकटचलपति पहली पंक्ति में देवी लक्ष्मी और देवी भूमि के साथ विराजमान हैं। दूसरी ओर दूसरी पंक्ति में देवी लक्ष्मी और देवी भूमि वरदराजा की उत्सव मूर्ति के साथ विराजमान हैं। तीसरी पंक्ति में दो संपुता विराजमान हैं जिसमें दो शालिगराम हैं। मंदिर के अंदर कई छोटे पवित्र स्थल बने हैं जो कि भगवान शिव, भगवान हनुमान, गुरु स्वामी और नाग देवता को समर्पित हैं। इस मंदिर का निर्माण 1822 ईस्वी में कराया गया था। यह मंदिर जिला कलेक्ट्रेट के पास स्थित है।

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