श्गोल्डन फाइबरश् के नाम से जाना जाने वाला श्जूटश्ए पर्यावरण के अनुकूल होता है। जूट का उपयोग विभिन्न प्रकार के सजावटी उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है। यह गांव की स्त्रियों के लिए आजीविका का एक स्रोत भी है। जूट बनाने की प्रक्रिया के सभी चरणों जैसे खेत से कच्चे माल प्राप्त करने से लेकर उत्पाद के निर्माण तकए सबमें महिलाएं शामिल होती हैं। शहर में बेचे जाने वाले जूट के मुख्य उत्पादों में बैगए चटाईए कोस्टरए मूर्तियांए आभूषणए घर की सजावट का सामानए जूतेए गुड़ियां आदि शामिल हैं।प्राचीन काल से ही एशिया और अफ्रीका में जूट का उपयोग बुनाई के लिए किया जाता रहा है। 19 वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी जूट की पहली व्यापारी थीय उन्होनें वर्ष 1855 में कोलकाता के पास हुगली नदी के तट पर रिशरा में जूट की पहली मिल की स्थापना की। सन् 1869 तक वे लगभग 890 करघों वाली मिलों का संचालन करने लगे। भारत में अंग्रेजों का शासन खत्म होने के बाद भारतीय व्यापारियों ने इन मिलों पर अपना अधिकार जमा लिया। आज भारत देश जूट का बहुत बड़ा व्यापारी हैए जिसमें पश्चिम बंगाल इसका सबसे बड़ा उत्पादक है।कालीघाट की पटुआ चित्रकला यकला और संस्कृतिद्ध

अन्य आकर्षण