देउर कोठार (देउर कोठार) एक बौद्ध स्थल है, जो मौर्य राजा अशोक के संरक्षण में ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाया गया है। यह परिसर लगभग 3 की.मी तक फैला हुआ है, जिसे व्यस्त वाणिज्यिक शहर का व्यापार मार्ग माना जाता था, इसे दक्षिणापथ नाम से जाना जाता था, जिसकी खोज 1982 में हुई थी। यहां खुदाई के दौरान कई चीजें मिली है जैसे-मठ, जल चैनल प्रणाली, प्राचीन मार्ग और 30 पत्थर के स्तूप, चार ईंट स्तूप, काले पॉलिश के बर्तन, जो 700 और 300 ईसा पूर्व के बीच रोजमर्रा के उपयोग के बर्तन थे। यहां पर खुदाई के समय मिले स्तंभों में से एक पर शिलालेख है,जो कहता है कि यह भगवान बुद्ध की याद में बनाया गया था।देउर कोठार की वास्तुकला काफी दिलचस्प है। बताया जाता है यह चार स्तूपों इस काल के किसी भी स्थल पर सर्वाधिक पाये गये हैं। इस्तेमाल की जाने वाली ईंटें विभिन्न आकृतियों वाली हैं जैसे मुड़ता हुआ कमल, त्रिस्तरीय पीठ पर एक साधारण पुष्प कलश (जो प्रारंभिक बौद्ध नक्काशी कला से मिलती-जुलती है) शंक्वाकार कमल की कली आदि इन्हे सबसे ज्यादा बड़े ईंट स्तूप की रेलिंग पोस्ट पर देखा जा सकता है, जो 30 फीट की ऊंचाई तक लम्बी है।यह स्थल खजुराहो से लगभग 200 किलोमीटर दूर है। इसकी खोज 1982 में पी के मिश्रा और अजीत सिंह ने की थी और भारत सरकार ने 1988 में इसे राष्ट्रीय महत्व का स्थान घोषित किया था। आज इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा सुरक्षित और संरक्षित किया जा रहा है।

अन्य आकर्षण