चित्रगुप्त मंदिर पूर्व में है, जहां से उगते हुए सूरज को देखा जा सकता है। यह एकमात्र मंदिर है, जो सूर्यदेव को समर्पित है और इस प्राचीन मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था। इस मंदिर में चित्रगुप्त भगवान की 5 फुट ऊंची मूर्ति है, जो सात घोड़ों के रथ पर विराजमान है।

मंदिर की दीवारों पर गहन नक्काशी और विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं की झलक मिलती है। दक्षिण की दीवार पर 11 सिर वाले भगवान विष्णु की छवि मुख्य आकर्षण का केन्द्र है। मंदिर के आंतरिक भाग में नृत्य करने वाली लड़कियों, हाथियों की लड़ायी, जुलूस और शिकार के दृश्यों की गहन नक्काशी पर्यटको को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। मंदिर के बाहरी भाग में अप्सराओं (खगोलीय अप्सराओं), वलय, मिथुन और अन्य देवताओं की सुदंर मूर्तियां हैं। इसके अलावा, मंदिर के बालकनी पैनलों पर 70 से अधिक अन्य आकृतियां तराशी गई हैं। द्वार भी विस्तृत रूप से अलंकृत हैं और सूर्य देव की तीन आकृतियों की श्रृंखला का चित्र गर्भगृह के समान लगता है।

परिसर में तीन मंजिला स्टेप टैंक भी देखा जा सकता है। स्टेप टैंक को चोपड़ा कहा जाता है, जो चंदेला शासकों द्वारा बनवाया गया था।

अन्य आकर्षण