खजुराहो के पश्चिमी मंदिर समूह में लक्ष्मण मंदिर सबसे पुराना और सौंदर्यपरक मंदिर है, चंदेला द्वारा निर्मित यह पहला मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर की देख- भाल यशोवर्मन ने की, जिन्होंने मध्य भारत के बुंदेलखंड के क्षेत्र पर नियंत्रण प्राप्त किया था। यशोवर्मन ने इस क्षेत्र में अपना अधिकार दिखाने के लिए इस मंदिर के निर्माण शुरू किया। हालांकि मंदिर निर्माण कार्य पुरा होने से पहले उनकी मृत्यु हो गई। उनके पुत्र धङ्गा ने बागडौर संभाली और सन् 954 में मंदिर का कार्य समाप्त कर उसे समर्पित कर दिया।

इस मंदिर में भगवान ब्रह्मा,विष्णु और महेश की त्रिमूर्ति है। ऊंचाई पर निर्मित गहन नक्काशीदार स्तंभों को एक ही प्रारूप में बनाया गया है।

मंदिर के आंतरिक कक्ष (गर्भगृह) में वैकुंठ भगवान के विष्णु त्रिशीर्षीय अवतार की मूर्ति है। यह अधिकतर हिन्दू मंदिरो की वास्तुकलात्मक विशेषता है।

मंदिरों के निर्माण शिल्प में नागर शैली का समावेश है, जिसमें बरामदे की छत सपाट होती है इसे मंडप कहते हैं। मंदिर के पवित्र स्थान को विमना कहा जाता है। नागरा मंदिरों के पवित्र स्थानों में आधार मंच हुआ करते हैं, मंदिर की अटारी को शिखर कहा जाता है।

अन्य आकर्षण