पर्वतीय क्षेत्रों की परंपरागत कलाओं में काष्ठ कला का प्रमुख स्थान रहा है। यहां आने वाले पर्यटक विभिन्न मंदिरों में भम्रण के दौराम यह बात अच्छी तरह देख सकते हैं। इन मंदिरों में स्थानीय संस्कृति और सभ्यात की पूरी पूरी झलक दिखाई देती है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण प्रसिद्ध कटारमल सूर्य मंदिर है, जिसके दरवाजे लड़की की खूबसूरत नक्काशी से सजे हुए हैं तथा उन पर हिन्दु धर्म से संबंधित बेहद खूबसूरत मूर्तियां उकेरी गयी हैं। शीशम की लकड़ी से बने इन दरवाजों पर उकेरी गयी यह नक्काशी 14वीं सदी से लेकर आज तक अपनी पूरी आभा के साथ दमक रही है। उस जमाने में महलों और मंदिरों के लकड़ी के दरवाजों को इसी तरह से सजाया, संवारा और खूबसूरत बनाया जाता था। इतिहासकारों के अनुसार खूबसूरत नक्काशी से सजे तथा लकड़ी से बने यह द्वार पूर्वी भारत के मंदिरों में लड़की पर उकेरी जाने वाली नक्काशी का सबसे शानदार उदाहरण हैं जो कि हिमालयी क्षेत्रों की परंपरागत शिल्प कला की झलक देते हैं। 

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