उत्तम कोटि की लकड़ी से निर्मित कन्याकुमारी का हस्तशिल्प अपनी सुघड़ता, प्रभावशाली डिजाइन और दीमक प्रतिरोध के लिए प्रसिद्ध है। काष्ठ शिल्प सम्पूर्ण राज्य तथा नागरकोविल और सुचिन्द्रम जैसे शहरों में प्रसिद्ध है और अपने उत्कृष्ट स्वरूप के लिए जाने जाते हैं। सुन्दर कसीदाकारी तथा जटिल रूप से डिजाइन वस्तुओं के निर्माण के लिए परम्परागत शिल्प का प्रयोग किया जाता है जिससे इन्हें सुन्दर और सुघड़ बनाने में सहायता मिलती है। विशेष अवसरों पर आकर्षक काष्ठ शिल्प से बनी वस्तुएँ उपहार में प्रदान की जा सकती हैं। इस शहर में लकड़ी के कार्य में प्रमुख रूप से ताड़ के वृक्षों की लकड़ियों, बाँस, सरकण्डों के तनों, घास और नरकुल का प्रयोग किया जाता है। लकड़ी की छाल के अतिरिक्त शिल्पकार टोकरियाँ, रस्सियाँ, चटाइयाँ और अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए नारियल के रेशों का उपयोग करते हैं। अन्य वस्तुओं में फूलों की आकृति के मेज या रामायण एवं महाभारत कालीन पौराणिक दृश्यों के पैनल बनाना शामिल है। शहर के शिल्पकला की दुकानों में लकड़ी से निर्मित वस्तुओं और दैनिक उपयोग में आने वाली अन्य अनेक वस्तुएँ बेची जाती हैं जिन्हें यादगार के तौर पर घर ले जाया जा सकता है।

अन्य आकर्षण