समुद्रतट पर स्थित 18वीं शताब्दी का यह वृत्ताकार दुर्ग ग्रेनाइट पत्थरों से बना है। अनेक वर्षों पूर्व जब यह क्षेत्र पूर्णत: साफ-सुथरा था तो यहाँ से पद्मनाभपुरम महल स्पष्ट दिखाई देता था। कहा जाता है कि इस दुर्ग से महल के बीच कभी 4 फीट चौड़ी और 25 किमी लम्बी सुरंग थी। इस किले की वास्तुकला पाण्ड्य शासकों (चौथी शताब्दी से 16वीं शताब्दी) की याद दिलाती है जिसकी दीवारों पर विशेष रूप से मछलियों की कसीदाकारी की गयी है। यदि एक ओर अरब सागर और दूसरी ओर बंगाल की खाड़ी को छोड़ दिया जाये तो यहाँ एक उठा हुआ परेड स्थल है। कुछ समय पूर्व पुरातत्व विभाग ने भी यहाँ पुनर्निर्माण कार्य किया था। इस किले के निकट काली रेत का समुद्र तट और एक छोटी नदी प्रमुख आकर्षण है जो समुद्र को इस किले के एक भाग से जोड़ती है।

अन्य आकर्षण