संगीत कन्याकुमारी के निवासियों के जीवन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अत: वाद्य यन्त्रों का निर्माण भी यहाँ अत्यन्त लोकप्रिय है और इनका उपयोग सामान्यत: तंजावुर क्षेत्र में किया जाता है। एक अन्य विशेषता यह है कि तमिल लोग अपने वाद्य यन्त्रों को उनके प्रकारों के आधार पर वर्गीकृत नहीं करते हैं बल्कि इनका वर्गीकरण बजाये जाने वाले अवसरों के आधार पर किया जाता है। विवाह समारोह में प्रमुख रूप से नादीश्वरम बजाया जाता है जबकि धार्मिक त्यौहारों के अवसर पर कुम्बू का अधिक प्रयोग किया जाता है। सबसे अधिक बजाया जाने वाला वाद्य यन्त्र सिलप्पादिकारम है और यह भी प्राचीनतम वाद्ययन्त्रों में से एक है। विशेष रूप से एक मोहक वाद्य यन्त्र याजा है जो मछली, मगरमच्छ तथा नाव के आकार में बनाया जाता है। प्राचीन समय में अत्यन्त लोकप्रिय तम्बूरा या बीन के आकार का याजा वीणा (तारों से युक्त एक वाद्य यन्त्र) से मिलता-जुलता है। इसे कटहल की लकड़ी से तैयार किया जाता है। अन्य लोकप्रिय वाद्य तम्बूरा है जिसका आधार लकड़ी का बना होता है और खुजाल वाद्य भगवान कृष्ण के वाद्य यन्त्र अर्थात बाँसुरी से बहुत मिलता-जुलता है।

अन्य आकर्षण