विजयनगर के शासकों द्वारा निर्मितए वरदराज पेरुमल मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह दिव्य देसम मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि 12 कवि संतों या अलवारों ने इन 108 मंदिरों के दर्शन किये थे।

परिसर में कई अन्य मंदिर हैं। मुख्य मंदिर में एक 100.स्तंभ वाला हॉल हैए जिसमें कुछ सुंदर नक्काशीदार मूर्तियां हैं। 40 फीट लंबी और अथि लकड़ी से बनी भगवान अथि वरदराज पेरुमल की मूर्ति लेटी हुई मुद्रा में दिखाई देती है। यह प्रतिमा 40 साल में केवल एक बार दर्शनार्थ बाहर लाई जाती है। इसका 96 फीट ऊंचा राजा गोपुरम ;मुख्य प्रवेश द्वारद्ध तो विशेष रूप से दर्शनीय है।

चोलए पांड्यए तेलुगू चोडाए कंडवारायाए चेरए काकतीयए संबुवरायए होयसल और विजयनगर राजवंशों के 350 से अधिक शिलालेख भी यहां देखे जा सकते हैं। मंदिर परिसर मेंए पत्थर में उकेरी गई और सोने से मढ़वाई गई छिपकलियां भी देखी जा सकती हैं।

यहां उन पुजारियों द्वारा चार सेवाएं की जाती हैंए जिन्हें माना जाता है कि वे यागना वाल्क्यार के वंशज हैं। यहां त्यौहार बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैंए विशेष रूप से पूर्णिमा विशाखा दिवस से शुरू होकर 10 दिनों तक मनाया जाने वाला वैकासी ब्रह्मोत्सव सबसे शानदार होता है। पुरात्तासी नवरात्रि त्योहार भी 10 दिनों तक चलता है। इस दौरान मंदिर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

अन्य आकर्षण