कामाक्षी नाम देवी सरस्वती ;विद्या की देवीद्ध और देवी लक्ष्मी ;धन की देवीद्ध से संबंधित है। इसमें श्काश् का अर्थ सरस्वतीए श्माश् का अर्थ लक्ष्मी और श्अक्षीश् का अर्थ है आंख। यह भव्य मंदिर देवी कामाक्षी ;देवी पार्वती का परम रूपद्ध को समर्पित है।

इस मंदिर की देवी इस मायने में विशिष्ट हैं कि उनकी मूर्ति पारंपरिक खड़ी स्थिति के बजाय पद्मासन की स्थिति में है। वह अपने दो निचली भुजाओं में एक गन्ने का धनुष और पांच फूल धारण की हुई हैंए और दो ऊपरी भुजाओं में एक पाश ;फन्दाद्ध और एक अंकुश है। देवी के पार्श्व में पवित्र त्रिमूर्ति ;भगवान शिवए भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्माद्ध स्थित हैं।

यहां फरवरी और मार्च के महीने में नौवें चंद्र दिवस पर एक वार्षिक उत्सव आयोजित किया जाता है। नवरात्रि और शंकर जयंती जैसे अन्य त्यौहारों के दौरान मंदिर में विशेष रूप से भीड़ लगती है। हर दिन सैकड़ों पर्यटक यहां आते हैं। यह उन 51 शक्तिपीठों या धार्मिक तीर्थ.स्थलों में से एक हैए जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे।

5 एकड़ में फैला यह मंदिर रात में 8रू30 बजे तक खुला रहता हैए और सूर्यास्त के बाद किसी नगीने की तरह जगमगाता हैए जो भक्तों और तस्वीरें उतारने वालों ;फोटोग्राफरोंद्ध के लिए एक मोहक दृश्य होता है। यहां रहने वाले हाथियों की श्रद्धापूर्वक पूजा से शुरू करते हुए हर दिन चार सेवाएं दी जाती हैं।

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