देवी दुर्गा और चौंसठ योगिनियों, जिन्हें उनके विभिन्न रूप में माना जाता है, को समर्पित यह मंदिर स्थानीय तौर पर पाए जाने वाले ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित है। इन 64 योगिनियों की उम्दा नक्काशीदार मूर्तियां एक गोलाकार संरचना में स्थापित हैं। इस मंदिर की मूर्तियां तीन अलग-अलग ऐतिहासिक काल से संबंधित हैं। कुछ मूर्तियां कुषाण-काल की हैं, कुछ गुप्त-काल के बाद की हैं तो कुछ कलचुरी-काल (10वीं-13वीं शताब्दी) की हैं। 108 सीढ़ियों वाले इस मंदिर को देखने दूर और नजदीक से बड़ी संख्या में लोग आते हैं। इसका निर्माण 125 फुट व्यास वाली गोलाकार संरचना में किया गया है। मंदिर के प्रांगण से नर्मदा नदी का मनोरम दृश्य भी देखा जा सकता है। कुल मिला कर, इस मंदिर को देखना एक अविस्मरणीय अनुभव है।

‘योगिनी’ शब्द का इस्तेमाल बौद्ध और हिन्दू धर्म, दोनों में होता है जिसका अर्थ है योग करने वाली स्त्री जो कि एक प्रबुद्ध मार्गदर्शक और गुरु होती है।योगिनी को देवी पार्वती का अवतार और पवित्र स्त्री-शक्ति भी माना जाता है। इन अवतारों को आठ मतिकाओं अथवा 64 योगिनियों के रूप में देखा जाता है। भारत में इन शक्तियों को समर्पित कई मंदिर हैं और चौंसठ योगिनी मंदिर उन्हीं में से एक है।योगिनियों को एक गुप्त पंथ से जोड़ कर देखा जाता है। इन्हें इतना अधिक शक्तिशाली माना जाता है कि कुपित होने पर ये अपनी शक्तियों द्वारा अत्यधिक विनाश कर सकती हैं।मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण कलचुरी शासनकाल में 10वीं सदी में किया गया था।

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