मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में स्थित इस फॉसिल पार्क में बहुत सारे पेड़-पौधों के जीवाश्म मौजूद हैं जिसके चलते यह बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करता है। लाखों-करोड़ों साल पुराने पेड़-पौधों के जीवाश्म इस क्षेत्र में बहुतायत में पाए गए हैं। यहां पर ऐसी वनस्पतियों के जीवाश्म भी मिले हैं जिससे यह अंदाजा होता है कि लाखों साल पहले यहां जरूर समुद्र का पानी हिलोरे मारता होगा। ये जीवाश्म डिंडौरी और मंडला जिलों में बिखरे पड़े हैं। घुघुआ में पाए जाने वाले जीवाश्म मुख्य तौर पर साढ़े छह करोड़ साल पुराने बताए जाते हैं। सच तो यह है कि यहां पाए जाने वाले यूकेलिप्टस के जीवाश्मों के जरिए यह भी पता चलता है कि कभी यह जगह गोंडवाना महाद्वीप का हिस्सा रही होगी क्योंकि यूकेलिप्टस ऑस्ट्रेलिया मूल का पेड़ है। यहां का एक और प्रमुख आकर्षण करीब ही स्थित 17वीं सदी का एक किला है जो तीन तरफ से नर्मदा नदी से घिरा हुआ है। यहां से राम नगर भी जाया जा सकता है जो यहां से 15 किलोमीटर दूर है।

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