नोहटा का ऐतिहासिक वैभव 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में तब सामने आया जब अंग्रेज लेखक हैनरी कुजेन्स ने यहां के प्राचीन खंडहरों के बारे में लिखा। हैनरी ने पाया कि नोहटा के आसपास इतने सारे प्राचीन मंदिर और उनके अवशेष बिखरे पड़े हैं जिनसे यह पता चलता है कि इतिहास के किसी दौर में यह जगह अवश्य ही बहुत अधिक महत्त्व की रही होगी।12वीं सदी के शुरू में चंदेला शासकों की राजधानी माने जाने वाले नोहटा में बहुत सारे जैन मंदिर और यहां से दो किलोमीटर दूर एक प्रसिद्ध शिव मंदिर भी है जहां पर लगने वाले सालाना कार्तिक मेले में बड़ी संख्या में यात्री आते हैं। यहां पर देवी गजलक्ष्मी समेत बहुत सारे देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं जो मंदिर के आठ बड़े आलों में स्थापित हैं।

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