क्षेत्र के सबसे अलंकृत स्मारकों में से एक, 16वीं शताब्दी का विट्ठल मंदिर, विजयनगर वास्तुकला का सबसे अच्छा प्रतिनिधित्व करता है। असाधारण नक्‍काशी के साथ सजाया गया, मंदिर का मुख्य आकर्षण, आंगन में खड़ा, पत्थर से बना, एक शानदार रथ है। कहा जाता है कि यह रथ, भगवान विष्णु के वाहन का प्रतिनिधित्व करता है और लोककथाओं के अनुसार इसके पहिए कभी चलते फिरते भी थे। अब भी, इसकी बारीकी से सजायी गयी छड़ों को देख ऐसा लगता है जैसे वे एक दिव्य आदेश मिलते ही चलने लगेंगी। इस मंदिर की एक और अनूठी विशेषता इसके संगीतमय स्तंभ हैं, जो इन्‍हें थपथपाने करने पर 81 विभिन्न संगीत वाद्ययंत्रों की आवाज़ें निकालते हैं। यह एक पूरी तरह से विकसित मंदिर है जिसमें कल्याण मंडप और उत्सव मंडप जैसी संबद्ध इमारतें हैं। मंदिर परिसर में एक वसंतोत्सव मंडप (पारंपरिक मंडप) और पानी की चैनलों वाले एक नेटवर्क के साथ एक बड़ी पुष्कर्णी (सीढ़ीदार टंकी) भी है।

अन्य आकर्षण