रिवर राफ्टिंग

सिक्किम की यात्रा बिना रिवर राफ्टिंग के कैसे पूरी हो सकती है। त्सोंगमो झील से निकलने वाली तीस्ता नदी और कंचनजंगा क्षेत्र के निचले हिस्से में स्थित कबरु पर्वत से निकलने वाली रंगीत नदी, व्हाइट वाटर राफ्टिंग के लिए बेहद प्रसिद्ध है। हिमालय के पर्वतों से आवेग से बहती ये नदियां नौसिखियों और अनुभवी राफ्टर्स को समान रूप से आकर्षित करती हैं। यहां से निकल कर यह दोनों नदियां तीस्ता बाजार के निकट बहती त्रिवेणी में मिल जाती हैं। हालांति त्रिवेणी नदी पर भी राफ्टिंग की जाती है, लेकिन तीस्ता में स्थित मेली, सैलानियों के बीच राफ्टिंग के मद्देनजर ज्यादा लोकप्रिय है। तीस्ता नदी को अंतराष्ट्रीय मानकों के आधार पर सुरक्षित राफि्ंटग के लिए ग्रेड 4 की श्रेणी में रखा गया है। इस लिहाज से दुर्गम होते हुए भी यह सुरक्षित है। राफ्टिंग का यह पूरा मार्ग दोनों ओर से हरे-भरे जंगलों से घिरा हुआ है और नदी के ठंडे पानी की बौछारें आपको पूरे सफर के दौरान तरो ताजा बनाए रखती हैं। करीब एक घंटे से कम समय की इस यात्रा के दौरान जब नौका तेजी से बड़े बड़े हिचकोले खाती है और नदी का पानी बड़ी बड़ी चट्टानों से टकराकर सैलानियों पर गिरता है, तो वो बहुत जोरों से शोर मचाकर अपने रोमांच तो व्यक्त करने लगते हैं। रिवर राफ्टिंग का सफर पूरा हो जाने के बाद त्रिवेणी संगम के रेतीले किनारों पर पर्यटर कैंपिंग का मजा भी लेते नजर आते हैं।  

रिवर राफ्टिंग

याक की सवारी

गंगटोक जाएं और याक की सवारी नहीं तो मानो कुछ नहीं किया। त्सोंगमो झील के किनारे कतारबद्ध ढंग से आपको बहुत सारे याक दिखाई देंगे, जिनकी सजावट के लिए रंग-बिरंगी ऊन से बनी काठी और घंटियां लटकायी जाती हैं। पर्यटक झील के आसपास के इलाकों तथा पहाड़ों पर सीमित ऊंचाई तक जाने के लिए बड़े चाव से याक की सवारी का आनंद लेते दिखते हैं। याक की सवारी का मजा लेने के लिए लोग सुबह सवेरे ही गंगटोक पहुंच जाते हैं, जहां से वे गुरुडोंगमर लेक और चोप्टा घाटी से होते हुए थंगु घाटी तक जाते हैं। इस घाटी में सैलानी थोड़ी देर रुक कर यहां के अद्भुत नजारों के साथ हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों को निहारते हैं। पर्यटन एवं नागर विमानन विभाग, सिक्किम तथा बहुत से निजि पर्यटन संचालक एवं एजेन्सी बहुत वाजिब कीमत पर याक की सवारी की एडवांस बुकिंग की सुविधा भी प्रदान करते हैं। 

याक की सवारी

पैराग्लाइडिंग

यदि पक्षी की तरह खुले आकाश में उड़ना आपका सपना रहा है तो यह सपना गंगटोक में आकर पूरा हो सकता है। हिमालय की वादियों में पैराग्लाइडिंग करते हुए जब आप नीचे गंगटोक का खूबसूरत नजारा देखते हैं कि ऐसा लगता है मानो जीते जी आप स्वर्ग में पहुंच गये हैं। यहां पर्यटकों को पैराग्लाइडिंग का अनुभव कराने के लिए विभिन्न प्राइवेट संचालक प्रशिक्षित और मान्यता प्राप्त आपरेटरों के साथ इस पूरा इंतजाम को अंजाम देते हैं। गंगटोक में मुख्य रूप में दो तरीके की फ्लाइट उपलब्ध है, जिन्हें मीडियम फ्लाई और हाई फ्लाई कहते हैं। मध्यम ऊंचाई की यह उड़ान गंगटोक के नजदीक बलिमन दारा से शुरू होती है और आपको 1300 से 1400 मीटर की ऊंचाई तक ले जाती है। हवा में इतना ऊंचा उड़ने पर बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियां और उनसे टकराकर आती पहाड़ों की ठंडी हवा, शरीर में बिजली सी दौड़ा देती है। यह फ्लाइट रेशिथंग स्पोर्ट्स विलेज पर खत्म होती है। वहीं सबसे ऊंची उड़ान बुलबुले दारा से शुरू होती है, जो गंगटोक के पास रंका स्थित रेशिथंग गांव में ऊंचाई पर स्थित है। यह फ्लाइट आपको रोमांच के चरम यानी 2200 मीटर की ऊंचाई पर ले जाती है। बलिमन दारा और बुलबुले दारा, पूर्वी सिक्किम के दो आधिकारिक प्रारंभिक स्थल हैं, जहां तक गंगटोक से आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

पैराग्लाइडिंग

माउंटेन बाइकिंग

गोवा की ही तरह सिक्किम में भी एक अच्छी बात यह देखने को मिलती है कि यहां आप बाइक वगैराह किराये पर लेकर आराम से घूम सकते हैं। लेकिन गोवा की तरह गंगटोक में बाइक से मतलब मोटर बाइक नहीं, बल्कि एक खास किस्म की साइकिल से है, जो ऊंचे-नीचे, पथरीले और कठिन रास्तों पर आसानी से चलाई जा सकती है। चूंकि यह कोई बहुत विस्तृत क्षेत्र नहीं है, इसलिए यहां नये ठिकाने खोजने और मनचाही घुमक्कड़ी के लिए माउंटेन बाइक्स, रोमांच प्रेमियों को खासा आकर्षित करती हैं। यही वजह है कि बीते कुछ वर्षों में युवा सैलानियों के बीच इस चलन में इजाफा होते देख राज्य सरकार ने साइकिंलिंग टूरिज्म को बढ़ावा दिया है, जिसकी यात्रा गंगटोक से शुरू होती है। 

पहाड़ी रास्ते कई जगहों पर काफी खतरनाक भी हो सकते हैं। इसलिए जरूरी है कि रोमांच के जोश में होश, बरकरार रखे जाएं। क्योंकि माउंटेन बाइक के इस रूट में कुछ रास्ते सामान्य रूप से ऊबड़-खाबड़ हो सकते हैं तो कुछ ट्रैक्स को पार करने के लिए थोड़े अधिक कौशल की जरूरत पड़ती है। इसलिए इस जोशीली रोमांचक यात्रा पर जाने से पहले विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें। खासतौर से वह जो पहले इस रोमांचक यात्रा पर जा चुके हैं, ताकि आपको पता चल सके कि इस जोखिमभरी यात्रा के बारे में खुद आपको पहले से कितनी जानकारी है। वैसे ज्यादातर सैलानी, माउंटेन बाइकिंग के जरिये गंगटोक से हनुमान टोक और रुम्टेक मठ तक जाना पसंद करते हैं, क्योंकि यह एक रोमांचक ट्रैक है, जिसकी अनुशंसा विशेषज्ञ भी करते हैं। यहां से होते हुए सैलानी तेमी स्थित चाय के बागानों तक जाते हैं। यहां से और ऊंचाई पर जाने के लिए बाइकर्स ताशिडिंग मठ तक भी जाते हैं। 

माउंटेन बाइकिंग

रोपवे

हरी-भरी वादियों के बीच से जब एक बड़ी सी फेरी लोहे की मोटी तार के सहारे धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ती है, तो लगता है कि कोई दुस्साहसी पर्वतरोही बिना सांस लिये किसी ऊंचे पर्वत पर एकदम सीधी चढ़ाई चढ़ रहा है। अपने लगभग 1 किमी के सफर में यह रोपवे, आपको गंगटोक के सबसे ऊंचे स्थान पर ले जाता है, जहां से आप शहर और घाटी का शानदार नजारा ले सकते हैं। रोपवे, की यह सात मिनट की यात्रा हालांकि बहुत से लोगों को यात्रा छोटी लगे, लेकिन इसमें भी बहुतेरे लोगों को दिल सा घबरा जाता है। खासतौर से जो सैलानी पहली बार इसे आजमाते हैं, उनकी हैरानी की तो कोई सीमा ही नहीं होती। लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है। क्योंकि इस हैरतंगेज सफर में आप अकेले नहीं हैं। रोवपे के सफर के दौरान एक ट्राली में 25 लोग आ सकते हैं। और हां, अगर आप खुशकिस्मत रहे यानी बादलों की मेहरबानी रही तो आप इस रोमांचक सफर के दौरान कंचनजंगा पर्वत का विहंगम दृश्य बड़ी आसानी के साथ देख सकते हैं। वैसे, रोमांच का यह सफर डोरली बाजार में बने मुख्य टर्मिनल से शुरू होता है और बीच में नाम नांग नामक एक मध्यवर्ती टर्मिनल भी पड़ता है। रोपवे का अंतिम पड़ाव सचिवालय (ताशिलिंग) से नीचे पड़ता है। 

रोपवे

ट्रैकिंग

एडवेंचर स्पोर्ट्स के शौकीन सैलानियों के लिए गंगटोक एक ऐसे स्थान के रूप में प्रसिद्ध है, जहां वह अपने सभी किस्म के रोमांच को अंजाम दे सकते हैं। विश्व के कुछ सबसे खूबसूरत नजारे लिये यह जगह अपने ट्रैकिंग ट्रैक्स के लिए दुनियाभर में जानी जाती है। यहां पूर्वी सिक्किम में रम्टेक मोनेस्ट्री, रवंग टाउन, ताशीडिंग मोनेस्ट्री और यक्सोम गांव से होकर निकलने वाले ट्रैकिंग ट्रैक्स, यह महसूस कराते हैं कि प्रकृति खूबसूरत होने के साथ-साथ कितनी रोमांचक भी हो सकती है। हिमालय की खूबसूरत जितनी ज्यादा कंजनजंघा बेस कैंप से शुरू होने वाले ट्रैकिंग टूर के दौरान नजर आती है, उतनी शायद ही कहीं और से दिखती हो। यहां मौजूद कुछ ऐसे ही अन्य रोमांचकारी ट्रैकिंग ट्रैक्स में गोचया ला पास, (4940 मीटर) और यक्सोम दजोंगरी (4200 मीटर) दो ऐसे ट्रैक्स हैं, जिन्हें पूरा करने में 10 दिन से भी ज्यादा समय लगता है और उत्तरी सिक्किम में स्थित तोसर लेक ट्रैक को पूरा करने में तो 18 दिन तक का समय लग सकता है। ट्रैकिंग को लेकर बेशक यहां कितने ही जोखिम हों या चुनौतियां। पहाड़ों पर चढ़ाई का रोमांच सैलानियों में इस कदर रहता है कि बहुत सारे टुअर आपरेटर्स यहां विशेष पैकेज का आयोजन कर यात्रियों के जत्थे के जत्थे लेकर आते हैं। यह पैकेज इस तरह से होते हैं कि सैलानी इनका चुनाव अपने बजट, शारीरिक क्षमता और समय के हिसाब से चुन सकते हैं। और लगभग इन सभी पैकेजेस में रहना और खाना शामिल होता है। 

ट्रैकिंग