शहर के पास ही स्थित है प्रसिद्ध मंदिर हनुमान टोक। गंगटोक से करीब 11 किमी दूर नाथु ला दर्रे की तरफ जाते हुए आचानक से ध्यानाकर्षित करता है। समुद्र तल से 2195 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर एक बेहद खूबसूरत और शांत पहाड़ी पर बना है, जहां शहर की भागदौड़ और कोलाहल से दूर एक अजीब सी शांति मिलती है। यह मंदिर अपने विशेष गोलाकार आकार की वजह से भी जाना जाता है। क्योंकि सिक्किम में यह अपनी तरह का एकमात्र अनोखा मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी लेकर लंका जा रहे थे तो इस स्थान पर रुक कर उन्होंने विश्राम किया था। यहां से कंचनजंगा पर्वत के खूबसूरत नजारे के साथ-साथ गंगटोक में पेयजल के मुख्य स्रोत सेलेप वाटर वर्क्स को भी देखा जा सकता है। यही मंदिर के पास ही सिक्किम राजघराने नामग्याल का शमशान घाट भी है, जिसे लक्ष्यमा कहते हैं। यहां बने स्तूप और चोर्टन बेहद खूबसूरत दिखते हैं तथा पास ही में साईं बाबा का भी एक मंदिर देखने को मिलता है। सन 1968 से हनुमान टोक मंदिर की देख-रेख भारतीय सेना की एक इकाई करती आ रही है। सैलानियों के लिए यहां आने का सबसे अच्छा समय मार्च से जून माह के बीच रहता है। क्योंकि इस दौरान यहां का मौसम बेहद गुलाबी रहती है। इस वजह से आस-पास की पहाड़ियों और सुंदर घाटियों का नजारा एक साफ साफ नजर आता है। इसके अलावा ज्यादातर यहां का मौसम बादलों, वर्षा, ओस और कोहरा या कुहासे की चादर वजह से पल-पल मूड बदलता रहता है, जिससे कई बार प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने में बाधा भी पड़ती है। 

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