गंगटोक से करीब 14 किमी दूर है सरम्सा गार्डन, जहां सन 1940 तक विभिन्न फलों की बहुत विशाल पैमाने पर खेती की जाती थी। हालांकि पार्क की स्थापना सिक्किम वन विभाग द्वारा सन 1922 में की गयी थी। उस समय इस पार्क को विकसित करने का उद्देश्य नामग्याल, राज घरानों तथा इलाके में रह रहे अंग्रेज अफसरों के लिए फलो की आपूर्ति हेतु की गयी थी। लेकिन आज अपनी खूबसूरत लोकेशन की वजह से पिकनिक और सैर सपाटे के लिए यह पर्यटकों का सबसे पसंदीदा स्थल बन गया है। यहां सैलानियों को फूलों की विभिन्न किस्में आकर्षित करती हैं। खासतौर से बेहद सुंदर दिखने वाले आर्किड्स, जिनके फोटोग्राफ्स लेने का अपना मजा है। यहां लगाए गये अधिकतर पौधों को सन 1975 से 1980 के बीच यहां रोपित किया गया था। इतना ही नहीं इस पार्क में संतरे, केले, अमरूद, लीची और अनानास की कुछ अलग-अलग किस्में लाने का श्रेय वन अधिकारी राय साहब भीम बहादुर प्रधान को जाता है। 

इस उद्यान को पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध करने के उद्देश्य से यहां खूबसूरत लोकेशंस पर बेंच लगाए गये हैं, ताकि सैलानी एक खास स्थान से पहाड़ों का सुंदर नजारा ले सकें, साथ ही छोटे-छोटे तालाब और उन पर पुलिया की शक्ल में ब्रिज भी बनाए गये हैं, जिससे सैलानियों को मनभावन दृश्यों को अपने कैमरे में कैद करने का मौका मिल सके। यहां से पार्क के पूर्वी किनारे पर दूर बहती रानी नदी का नजारा भी बेहद खूबसूरत लगता है। आजकल इस पार्क को इपीका गार्ड के नाम से भी जाना जाता है, जो दरअसल यहां पाये जाने वाले सेफैलिस इपीकाकुन्हा नामक एक औषधीय से मिला है। पौधे की इस किस्म को यहां मलेशिया से लाया गया था, जिसका इस्तेमाल चिकित्सकीय शोधों और महत्वपूर्ण दवाइयों को बनाने में किया जाता है। 

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