यह पानी में डूबा हुआ एक प्राकृतिक शिला शिवलिंग है जो गंगोत्री के प्रमुख सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। सर्दियों में जब जल स्तर घट जाता है तो इस शिवलिंग को स्पष्ट देखा जा सकता है। श्रद्धालु यहां आकर पूजा अर्चना अवश्य करते हैं क्योंकि यहां के बारे में माना जाता है कि यही वह स्थान है जहां पर मां गंगा स्वर्ग से भगवान शिव की जटाओं में उतरी थीं। मान्यता है कि पुराणों में वर्णित राजा भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर देवी गंगा उनके पूर्वजों को उन के पापों से मुक्ति दिलाने के लिए नदी का रूप धारण करके इसी स्थान पर पृथ्वी पर उतरी थीं। चूंकि स्वर्ग से उतरते समय नदी का आवेग बहुत तेज था जब जटा शंकर शिव ने उसे अपनी जटाओं में समेट लिया था। यह शिवलिंग गंगोत्री मंदिर के बिल्कुल करीब है और इस अद्भुत स्थान को देख कर परमात्मा में विश्वास और बढ़ जाता है।

अन्य आकर्षण