उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में हिमालय की ऊंचाइयों के बीच बसा गंगोत्री हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले चार धाम तीर्थों में से एक है। गंगा मैया को समर्पित मंदिरों में से यह सबसे ऊंचाई पर स्थित है। यहां स्थित गंगोत्री ग्लेशियर से ही गंगा नदी जन्म लेती है जिसे यहां भागीरथी कहा जाता है। गंगोत्री का सबसे प्रमुख आकर्षण गंगोत्री मंदिर है जिसमें मां गंगा की पूजा होती है। बीस फुट ऊंचा यह अति सुंदर मंदिर सफेद पत्थर से बना है। गंगोत्री में पहुंच कर एक सौम्य और पवित्र आभा का अहसास होता है और इसी से आकर्षित होकर ही से यहां श्रद्धालु और सैलानी बड़ी संख्या में आते हैं। बर्फ से ढकी पर्वतों की चोटियां और गंगा का पारदर्शी जल मिल कर यहां के नजारों को और अधिक सुरम्य बना देते हैं।

मंदिरों के अतिरिक्त यहां भागीरथी शिला भी देखी जा सकती है जिसके बारे में मान्यता है कि पुराणों में वर्णित राजा भगीरथ ने इसी पर अपने पूर्वजों को उन के पापों से मुक्ति दिलाने के लिए तपस्या की थी। गंगोत्री मंदिर के पास ही स्थित गौरी कुंड और सूरज कुंड भी देखे जा सकते हैं।

गंगोत्री ट्रैकिंग और पर्वताहोरण के शौकीनों को भी यह जगह अपना शौक पूरा करने का भरपूर अवसर देती है। यहां का सबसे लोकप्रिय ट्रैक गंगोत्री-गोमुख ट्रैक है जो आगे तपोवन और नंदन वन को जाता है।एक छोटा ट्रैक आपको पांडव गुफा तक ले जाता है जिसके बारे में कहा जाता है कि महाभारत काल में यहां पांडवों ने साधना की थी। एक अन्य ट्रैक दयारा बुग्याल की ओर ले जाता है जो कि समुद्र तल से लगभग तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक बहुत ही आकर्षक घास का मैदान है जहां से भव्य हिमालय की चोटियों के अनोखे दृश्य दिखाई देते हैं।