पुरानी दिल्ली की प्राचीनता को संजोये चांदनी चौक एक भीड़-भाड़ वाला क्षेत्र है जो राष्ट्रीय राजधानी के सबसे पुराने क्षेत्रों में से एक है। चांदनी चौक अपने व्यस्त बाजारों के कारण जाना जाता है और यहां की संकरी और अंतहीन गलियां किसी भूलभुलैया से कम नहीं हैं। ये संकरी गलियां छोटी-छोटी दुकानों से सजी रहती हैं जिनमें नमकीन, मिठाई और सेवई के स्वादिष्ट पकवानों की कई दुकानें हैं। यहां पर ऐसी दुकानें भी हैं, जहां आपको कपड़े सहित कई उत्पाद मिल जाएंगे और वह भी बजट के दामों पर। जोर शोर से चलने वाली इस मध्ययुगीन बाज़ार में आपको लगभग सभी तरह के इत्र, आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोमबत्तियां, जीवन शैली के सामान और देवी-देवताओं की मूर्तियां बड़ी आसानी से मिल जाएंगे। इसके अलावा, यह दिल्ली के सबसे बड़े थोक बाजारों में से एक है, जिसमें यात्रियों को कई वस्तुओं पर भारी छूट भी मिल सकती है। चांदनी चौक यहां मिलने वाले व्यंजनों के लिए बेहद लोकप्रिय है। जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, और अन्य ऐसे लोगों जैसी बड़ी-बड़ी हस्तियां भी यहां भोजन करना पसंद करते थे। जैसे ही आप बाजार में पकवानों की दुकानों को खंगालना शुरू करेंगे, आपको मेट्रो स्टेशन के पास ही काफी पुरानी और प्रसिद्ध एक जलेबी वाले की दुकान मिलेगी। स्वादिष्ट, नरम और चाशनी के रस से लबालब इन गरम गरम जलेबियां का स्वाद ऐसा है, जो आपको दिल्ली की सर्दियों में भी गर्मा दें। खाने के शौकीन लोग, भोजन के असीम और अविस्मरणीय अनुभव के लिए परांठे वाली गली भी जा सकते हैं। परांठे वाली गली के नाम से मशहूर इस पतली सी गली में ताजे और गर्म परांठे बनाने वालों कई दुकानें हैं जहां पर्यटकों को अवश्य जाना चाहिए। इसके बाद आती है स्वादिष्ट आलू-कचौरी और दही भल्ले की बात। यदि आप गर्मियों में जा रहे हैं, तो मसालेदार नींबू पानी का एक बड़ा गिलास लेना न भूलें। वहीं चांदनी चौक में मिलने वाली रबड़ी फालूदा यहां की खासियत है। यहां की कई दुकानें 100 साल से भी अधिक पुरानी हैं और आज भी मध्ययुगीन दिल्ली के स्वाद को बरकरार रखे हुए हैं, जो इस जगह को लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय बनाती है। चांदनी चौक का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने 17 वीं शताब्दी में करवाया था। लाल किले के ठीक सामने फैले इस बाजार से, फतेहपुरी मस्जिद का बेहद ही खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है। 'चांदनी चौक' का अर्थ होता है, चांद की रोशनी से रौशन जगह, और इस बाज़ार को शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान से ही चांदनी चौक के नाम से पुकारा जाता है। इस क्षेत्र में पेड़ों की कतार वाली एक नहर थी, जिसमें रात के वक्त चांद साफ दिखाई पड़ता था।

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