हुमनाबाद

हुमनाबाद में भगवान वीरभद्रेश्वर का प्राचीन मंदिर स्थित है जो हजारों आगंतुकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। वीरभद्र एक महत्वपूर्ण हिंदी देवता हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि वे राजा दक्ष के यज्ञ अर्थात अग्नि अनुष्ठान में देवी सती की मृत्यु होने के बाद भगवान शिव के क्रोध से उत्पन्न हुए थे। यहाँ हर साल जनवरी-फरवरी में, सात दिवसीय वीरभद्रेश्वर जात्रा और रथयात्रा का त्यौहार आयोजित किया जाता है जिस में अपार जनसमूह प्रतिभाग करता है। इस मंदिर का निर्माण राजा रामचंद्र जाधव ने 1725 में करवाया था।  

इस मंदिर की संरचना में लगभग 50 फीट ऊंचे दो दीप स्तंभ और एक भव्य गर्भगृह शामिल हैं। हुमनाबाद के अन्य आकर्षण हैं करिबासवेश्वर मंदिर, नागेश्वर मंदिर, बालाजी मंदिर, साईं बाबा मंदिर, बीरलिंगेश्वर मंदिर, जवाहर थिएटर तथा साई थियेटर इत्यादि। 

हुमनाबाद

गुरु नानक जीरा

यह धार्मिक आकर्षण बीदर के दक्कन क्षेत्र की विविधता का प्रमाण है। गुरुद्वारा बीदर सिख समुदाय के लिए सबसे पवित्र स्थानों में से एक है और इसीलिए विशेषकर नवंबर और मार्च के महीनों के दौरान यहाँ श्रद्धालुओं की एक बड़ी संख्या आती है। स्थानीय किंवदंती के अनुसार, जब यह क्षेत्र एक भयानक अकाल की चपेट में था, तब गुरु नानक ने इसका दौरा किया और एक मखाराला चट्टानों के एक पहाड़ से चमत्कार पूर्वक पानी के झरने  का निर्माण किया। इस झरने ने लोगों की प्यास को बुझाया और इस विश्वास को जन्म दिया कि जो पानी का स्रोत गुरु की आज्ञा पर फूटता है वह अनेकों बीमारियों को ठीक करने में सक्षम होता है। गुरुद्वारा नानक झीरा का शांत वातावरण उसके प्राकृतिक परिवेश द्वारा और अधिक सुरम्य हो जाता है जिसमें एक सरोवर और एक अमृत ​​कुंड अर्थात मीठे पानी का तालाब शामिल हैं। यहाँ एक लंगर अर्थात सामुदायिक रसोईघर गुरुद्वारे में आने वाले सभी लोगों के लिए गर्म और पौष्टिक भोजन परोसता है और यहाँ देश के सभी कोनों से गुरुद्वारे में आने वाले तीर्थयात्रियों के लिए साफ कमरे भी उपलब्ध हैं। 

गुरु नानक जीरा

सोलह खंभा मस्जिद

सोलह खंभा मस्जिद, या सोलह-स्तंभ वाली मस्जिद देश की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है और बीदर में स्थित सबसे पुरानी जीवंत इमारत है। 1423-24 ईसवी में शाहज़ादे मुहम्मद की सरपरस्ती में कुबिल सुल्तानी द्वारा निर्मित, इस मस्जिद में विस्तृत स्तंभ, गुंबद और मेहराबें हैं। इसकी वास्तुकला ताजी हवा और प्रकाश की प्रचुरता को संयोजित करती है। इसका परिदृश्य खुले और विशाल जनसमूह को समायोजित करने के लिए पर्याप्त है, जो शुक्रवार की प्रार्थना और महत्वपूर्ण धार्मिक राज्य कार्यों के दौरान यहां आते थे। 

मस्जिद को ज़नाना मस्जिद भी कहा जाता है क्योंकि यह ज़नाना बाड़े के पास स्थित है। पास के अन्य आकर्षणों में गगन महल, दीवान-ए-आम, तख़्त महल, शाही मंडप, हज़ार कोठारी और नौबत खाना शामिल हैं। जामा मस्जिद और काली मस्जिद आसपास के दो अन्य स्मारक हैं जिन्हें देखने से बिल्कुल छोड़ा नहीं जाना चाहिए। 

सोलह खंभा मस्जिद

पापनाश शिव मंदिर

माना जाता है कि इस क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक पापनाश शिव मंदिर को भगवान राम ने श्रीलंका से वापस आते समय अपनी यात्रा पर बनवाया था। कहा जाता है कि उन्होंने इस स्थान पर शिवलिंग स्थापित किया था। पर्यटक मंदिर के सामने एक तालाब में बहते हुए प्राकृतिक झरने पर भी जा सकते हैं, जिसे ‘पापनाश’ या पापों का नाश करनेवाला झरना कहा जाता है। शिवरात्रि का त्यौहार यहाँ बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और देश भर से श्रद्धालु इस भव्य आयोजन के साक्षी बनते हैं। बस स्टेशन से एक सुव्यवस्थित, सुरम्य सड़क मंदिर की ओर जाती है, जो एक सुन्दर घाटी में बसा हुआ है। यह मंदिर बहुत प्राचीन है और अब एक नया मंदिर पहाड़ी की ढलान पर भी बनाया गया है। 

पापनाश शिव मंदिर

नृसिंह झिरा पानी गुफा मंदिर

नरसिंह झरना गुफा मंदिर और झरनी नरसिम्हा मंदिर के रूप में भी जाना जाता यह मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है, जिसमें आगे 30 मीटर तक पानी भरा हुआ है। घुटने तक गहरे पानी में से होकर जाने के अलावा मन्दिर में स्थापित देवता तक पहुंचने का कोई और तरीका नहीं है। यह गुफा मणिचुला हिल रेंज में स्थित है और मंदिर सुबह आठ बजे से जनता के लिए खुल जाता है। कुछ भक्त भगवान के दर्शन करने से पहले शुद्धि की प्राप्ति में भी विश्वास करते हैं, इसलिए वे इस मंदिर के ठीक बाहर स्थित फव्वारे में स्नान करते हैं। इस मन्दिर में जाएँ तो इसकी छत से लटके असंख्य चमगादड़ों से निपटने के लिए तैयार रहें! 

स्थानीय पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान नरसिंह ने पहले हिरण्यकश्यप का वध किया और फिर राक्षस जलासुर का वध किया, जो भगवान शिव का कट्टर भक्त था। उसकी मृत्यु के बाद, वह पानी में बदल गया और अपने वधकर्ता भगवान नरसिंह के पैरों से बहने लगा। ऐसा कहा जाता है कि वह जलासुर अभी भी पानी के रूप में प्रभु के चरणों में बहता है, और भक्तों को देवता के दर्शन  प्राप्त करने के लिए उस पानी से गुजरना पड़ता है । 

नृसिंह झिरा पानी गुफा मंदिर