भगवान सूर्य (भास्कर, मार्तंड) को समर्पित यह विशाल मंदिर सूर्यवंशी राजा ललितादित्य द्वारा करवाए गए निर्माण-कार्यों में सबसे अधिक सुंदर है। ईसा पूर्व आठवीं शताब्दी में निर्मित इस मंदिर के भग्नावशेष बताते हैं कि यह अपने भीतर अनोखी, अद्वितीय और ग्रीक प्रभावों वाली स्थापत्य शैली समेटे हुए है। इसे यहां के स्तंभों, पत्थर के खंभों, द्वारों, रास्तों आदि में और बहुतायत से इस्तेमाल किए गए चतुर्भजों व त्रिभुजों आदि के रूप में देखा जा सकता है। यह मंदिर खंभों और मेहराबों वाले प्रांगण में है जिसे देख कर लगता है कि यहां अवश्य ही एक ढका हुआ रास्ता होता होगा। ये सब कश्मीरी हिन्दू शैली के स्थापत्य के साथ मिल कर एक चौंका देने वाली संरचना बनाता है। स्थानीय मान्यता है कि अपने सुनहरे दौर में यह मंदिर पूरे विश्व से पर्यटकों को आकर्षित करता था।

अन्य आकर्षण