मुग़ल बादशाह अकबर का मकबरा सिकंदरा, लाल बलुआ पत्थर तथा संगमरमर से बना है। इसका निर्माण स्वयं अकबर ने ही कराया था जिसे उसके पुत्र जहांगीर ने 1613 में पूरा कराया था। ऐसा कहा जाता है कि अकबर ने अपने जीवनकाल में ही उस जगह का चयन कर लिया था, जहां मकबरा बनाना था। उन्होंने इसके निर्माण की योजना भी स्वयं ही बनाई थी। 

यह मकबरा मुग़ल शासक के दर्शन एवं धर्मनिरपेक्षता के दृष्टिकोण का प्रतीक है, जो हिंदू व इस्लामिक वास्तुकला का बेहतरीन मिश्रण है। यह मकबरा इस क्षेत्र में सबसे संरक्षित स्मारकों में से एक है, जिसका मूल गौरव अब भी बरकरार है। यह मकबरा चारबाग में बना हुआ है, जो इस परिसर का सुंदर हिस्सा है।      

इसके भीतरी भाग में ऐसी सुलिपि अंकित है जो दीन-ए-इलाही को प्रतिबिंबित करती है। यह अकबर द्वारा आरंभ किया गया ऐसा धर्म था जिसमें इस्लाम, हिंदुत्व एवं अन्य अनेक धर्मों तथा पंथों का समावेश था।           

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